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Mewar Kesri Maharana Sanga by M.I. Rajasvi
भारत के इतिहास में यदि राजपूताना की वीरगाथाओं का स्वर्णिम अध्याय न होता तो इसकी वैसी भव्यता न होती, जैसी आज है। यहाँ की धरती भले ही वर्षा की बूँदों के लिए तरसती रही हो, परंतु सत्ता-सिंहासन के लिए निरंतर होते रहे युद्धों से टपकते रक्त से यह भूमि सदैव सिंचित होती रही। आन-बान और शान के साथ ही सत्ता के षड्यंत्रों में रचे-बसे यहाँ के वीरतापूर्ण वातावरण में राजपूतों की महिमा का भव्य दर्शन होता है। इस भूमि पर जहाँ एक ओर सतियों ने जौहर की प्रचंड ज्वालाओं में भस्म होकर भारतीय नारी के दृढ संकल्प और सतीत्व की नई परिभाषा लिखी है, वहीं दूसरी ओर स्वतंत्रता प्रिय राजाओं और अन्य राजपूतों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा में अपने प्राण तक अर्पण कर दिए।
महान् राजा बप्पा रावल की संतति ने राजपूताना को अपने रक्त से सिंचित करके राजवंश का गौरव बढ़ाया और राजपूती शान का वर्चस्व बनाए रखा।
प्रस्तुत पुस्तक ‘मेवाड़ केसरी महाराणा साँगा’ में उनके अपार धैर्य और असीम पराक्रम की गौरवगाथा है, जो राजपूताना की अमर कहानी है।
शौर्य, पराक्रम, बलिदान, त्याग के प्रतीक महाराणा साँगा की प्रेरणाप्रद जीवनगाथा।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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