Yug Geet Usi Ke Gayega by Jai Shankar Mishra

प्रस्तुत कविता-संग्रह ‘युग गीत उसी के गाएगा’ श्री जय शंकर मिश्र की काव्य-यात्रा का सप्तम सोपान है। इसमें कुल 101 कविताएँ एवं गीत सम्मिलित किए गए हैं। श्री मिश्र का संपूर्ण रचना संसार उनकी निजी अनुभूतियों का ही प्राकट्य है। सूक्ष्म संवेदनाओं की सलिल सरिता उनके अंतस में निरंतर प्रवहमान रही है। इसीलिए इनकी रचनाओं में जहाँ प्रकृति अपनी संपूर्ण विविधता एवं समग्रता के साथ प्रतिबिंबित होती हुई दृष्टिगोचर होती है, वहीं दूसरी ओर जीवन-जगत्, प्रीति-प्रणय, समाज-संबंध एवं जीवन के लौकिक-अलौकिक पक्षों की भी विविधवर्णी आभा विद्यमान है। श्री मिश्र की कविताओं में भाषा की सहजता, सरलता एवं सुगमता के साथ ही अंतर्निहित पारिवारिक एवं सामाजिक समरसता की महत्ता, युग-मंगल की कामना, जीवन के उद्देश्यों के प्रति सतत चिंतन तथा परिवेश की विविध जटिलताओं के बावजूद जीवन को सौंदर्यमय एवं शिवमय बनाने की बलवती भावना रचनाकार को एक विशिष्ट पहचान देती है। सकारात्मकता और आशावाद से परिपूर्ण ये काव्य रचनाएँ पाठकों को मानवीय मूल्यों और संबंधों का बोध कराएँगी और कुछ ऐसा कर गुजरने के लिए प्रेरित करेंगी कि ‘युग गीत उसी के गाएगा’।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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