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Adbhut Sannyasi by Rajeev Sharma
यह गाथा है एक निस्पृह योगी की, चिरंजीवी तपस्वी की, कठिनतम कर्तव्यरत निर्विकार पुरुषार्थी की, अपराजेय योद्धा की।
वे आवेशावतार नहीं थे, न ही अंशावतार। क्रोधावतार कहकर उन्हें सीमित नहीं किया जा सकता।
आज तक पृथ्वी पर उनके शौर्य की झलक है, वह उनकी साक्षात् उपस्थिति में कितनी प्रभावी रही होगी। वे उस भृगुकुल के भूषण थे, जिसकी महिमा का विस्तार पवित्र नदियों और समुद्रों, पर्वतों और गहन वनों में विद्यमान असंख्य आश्रमों में ही नहीं संपूर्ण त्रैलोक्य में था, भगवान् विष्णु के वक्षस्थल से लेकर हिमगिरि में भृगु शिखर तक। मदांध सत्ता की कुटिलता के विरुद्ध जनप्रतिरोध का प्रबलतम स्वर हैं परशुराम। आजकल के कथित लोकतंत्रों के जन्म के युगों पूर्व वे तंत्र पर लोक के प्रभावी नियंत्रण के अधिष्ठाता हैं। यदि भारतीय चेतना यूरोपीय प्रभुत्व की बंधक न हुई होती तो स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के लिए मानवीय संघर्ष की गाथा परशुराम से प्रारंभ हुई होती; कथित फ्रांसीसी क्रांति से नहीं।
वे कोरे योद्धा नहीं थे। उन्होंने साधारण मनुष्यों को शास्त्र और शस्त्र दोनों सौंपकर वह सामर्थ्य दिया कि वे स्वयं अभ्युदय और निःश्रेयस पा सकें।
उनकी अद्भुत जीवनगाथा हमारे युग को भी स्वमंगल से सर्वमंगल और अराज से स्वराज हेतु प्रेरित कर सके, यही इस कृति का पावन प्रयोजन है।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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