Meditation Ke Naveen Aayam  by Manoj Srivastava

आज के जीवन में हम इतने खो गए हैं कि ईश्वर या आस्था को भूलते जा रहे हैं। इसका मूल कारण है— हमारे ऊपर अस्तित्ववादी प्रभाव। अर्थात् मेरा ही अस्तित्व है एवं केवल मैं ही हूँ। केवल ‘मैं’ से अहं आता है। इस प्रभाव से हम एकांगी सोच में जीवन जीने लगते हैं। जब व्यक्ति के सामने चुनौतियाँ, कठिनाइयाँ आती हैं तो वह अपने को अकेला पाता है। जब व्यक्ति असफल होता है तो उसमें कुंठा, हताशा, निराशा व अवसाद जन्म लेते हैं। वह समाज, मित्र, सगे-संबंधी, ईश्वर को इसका दोष देता है। हमें अगर सही जीवन जीना है तो हमारे पास आस्था के अतिरिक्त कोई विकल्प नहीं है। व्यक्ति के पास आज सूचनाओं का अंबार है, परंतु ज्ञान नहीं है। जिनके पास ज्ञान है, उनके पास अहंकार भी है।
कहना न होगा कि जीवन की समस्याओं के समाधान के लिए हमें विचारों का समुचित प्रबंधन करना होगा और पूर्वाभासी ज्ञान जाग्रत् करना होगा। यह हम मेडिटेशन व ध्यान द्वारा कर सकते हैं। इस पुस्तक में इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु अनेक विधियाँ दी गई हैं, लेकिन सहज राजयोग हमें वह विधि सिखाता है, जिससे हम कम समय में, कम परिश्रम से बेहतर रूप में ध्यान व मेडिटेशन कर सकते हैं।
जीवन को सहजता के साथ जीने का मार्ग दिखाती एक व्यावहारिक पुस्तक।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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