Acharya Raghuveer by Shashibala
राष्ट्रोत्थान हेतु ज्ञानमार्ग के पुजारी आचार्य रघुवीर जन-जन को आंदोलित कर उनमें अस्मिता, आत्मगौरव और स्वाभिमान का भाव जगाकर उन्हें वैचारिक स्वतंत्रता, सांस्कृतिक चेतना और स्वभाषा के स्वाभिमान के मार्ग पर चला देना चाहते थे।
इस पुस्तक में भारतीय धरोहर के मनीषी आचार्य रघुवीर की अद्भुत मेधा और विचारपूर्ण चिंतन के बारे में विस्तृत जानकारी है। यूरोप में विद्यार्थी के रूप में उनका अध्ययन, अनुसंधान एवं लेखन एवं भारत लौटने पर वैदिक वाङ्मय पर किया गया अनुसंधान कार्य तथा संस्कृत के उत्कर्ष का स्वप्न आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है। संस्कृति के अग्रदूत के रूप में उनका व्यक्तित्व, सांस्कृतिक धरोहर के रक्षण एवं अनुसंधान हेतु सरस्वती विहार की स्थापना, एशिया के विभिन्न देशों में उनकी यात्राएँ, उनके द्वारा स्थापित सांस्कृतिक संबंध, उन देशों में किए गए कार्य तथा वहाँ से संगृहीत सांस्कृतिक निधियाँ आदि विषयों पर सचित्र वर्णन प्रस्तुत हैं।
साथ ही आचार्य रघुवीर के राष्ट्रभाषा दर्शन पर एक विशेष अध्याय के माध्यम से उनके द्वारा निर्मित पारिभाषिक एवं वैज्ञानिक शब्दावली, उनकी दृष्टि से राष्ट्रभाषा का स्वरूप, बृहत् आंग्ल-भारतीय शब्दकोश की रचना, संसदीय हिंदी की नींव, प्रांतीय भाषाओं का गौरव, राष्ट्रीय एकता का माध्यम संस्कृतनिष्ठ हिंदी, अंग्रेजी-हिंदी शब्द-कोश का निर्माण तथा देवनागरी अक्षरों का मुद्रलिख (टाइपराइटर) बनवाना आदि विषयों पर प्रकाश डाला गया है।
प्रखर चिंतक, विचारक, राष्ट्रभाषा के प्रबल पैरोकार, भविष्यद्रष्टा और उत्कृष्ट देशभक्त आचार्य रघुवीर की प्रेरणाप्रद जीवनी।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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