Kalidas Chintan by Pt. Suryanarayan Vyas, Rajsekhar Vyas
संसार के सर्वश्रेष्ठ नाटककार और विश्वकवि कालिदास की असाधारण प्रतिभा का लोहा पाश्चात्य विद्वानों ने भी माना। सर विलियम जोंस हों या गेटे या फिर शेक्सपीयर ही क्यों न हों, सब कालिदास की लेखनी के अनन्य प्रशंसक थे। उन भारतीय राजनेताओं और तथाकथित पंडितों को क्या कहें, जो पाश्चात्य मत से प्रभावित होकर कालिदास को केवल संस्कृत साहित्य तक ही सीमित रखते हैं। सारे संसार में कालिदास के नाम को पुनर्जीवन देनेवाले महान् विद्वान् पं. सूर्यनारायण व्यास ने आधुनिक भारत के सांस्कृतिक रंगमंच की आधारशिला रख उज्जयिनी में अखिल भारतीय कालिदास समारोह वर्ष 1928 में आरंभ किया। कालिदास साहित्य के मर्मज्ञ विद्वान्, कालिदास अकादेमी के संस्थापक पं. व्यास की रससिद्ध लेखनी से निःसृत कालिदास के काल, जन्म, कला, रस और अन्य पक्षों पर उनके निबंधों का यह संग्रह गागर में सागर है। कालिदास और विक्रम, भास और भर्तृहरि, भवभूति और भरत, वात्स्यायन और कालिदास पर अद्भुत शोधपूर्ण दृष्टि—जिन विषयों पर विश्व के विद्वानों में अब चर्चा हो रही है, मसलन कालिदास के पूर्ववर्ती, कालिदास के समकालीन और बाद के काल के कवियों पर एक विलक्षण विद्वान् की ओजस्वी कलम से, विश्वकवि कालिदास पर प्रस्तुत है अनुपम कृति—‘कालिदास चिंतन’। कालिदास और विक्रम पर उनकी अन्यान्य रचनाओं के चयन, संयोजन, संपादन और प्रकाशन के लिए प्राणपण से संलग्न महान् पिता के सुयोग्य सुपुत्र श्री राजशेखर व्यास के विलक्षण संपादन और मार्मिक लेखों से युक्त कृति ‘कालिदास चिंतन’ आपको मुग्ध किए बिना नहीं रहेगी।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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