Adbhut Prem Ki Vichitra Katha by Ashwini Bhatnagar

डैनी अमीरों का नौशा बनकर दूर कहीं चमकते सितारे से उठी झंकार के साथ बह गया था। झंकार खत्म नहीं हुई थी, पर उसका बहना ठहर गया था। उसके पैर जम रहे थे और हालाँकि दूर सितारे की सदा उसके जेहन में अब भी गूँज रही थी, पर उसकी कंपन अब महसूस नहीं हो रही थी।
डैनी ने गिरिजा को बेहद चाहा था। उसका साथ पाकर उसे लगा था कि दुनिया में उससे बड़ा खुशनसीब कोई नहीं था। वह गिरिजा में घुला जा रहा था, पर बुलावा उसको खींचे लिये जा रहा था। गिरिजा उसका हाथ पकड़कर अपने पास बैठा सकती थी, पर उसने हाथ को धीरे-धीरे छूटने दिया था। वह एक ऐसा ख्वाब थी, जो हकीकत के छोर को छूते ही सहम गई थी; पर जब तक वह हकीकत और अफसाने के बीच थी, उसने डैनी को अपने मखमली आगोश में बेपनाह रोमांच दिया था।
सच्चे प्रेम को एक अलग, विशिष्ट और विचित्र ढंग से रेखांकित करता अत्यंत पठनीय उपन्यास।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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