R.K. Narayan Ki Lokpriya Kahaniyan by R.K. Narayan
“अरे! सिरदर्द हो रहा है।’’
‘‘इतवार को आवारागर्दी कम किया करो, सोमवार को सिरदर्द नहीं होगा।’’
स्वामी जानता था कि उसके पिता कितने सख्तहैं, इसलिएउसनेतुरंतदूसराबहानाबनाया, ‘‘मैंइतनीदेर सेकक्षामेंनहींजासकता।’’
‘‘मैं मानता हूँ, लेकिन फिर भी जाना पड़ेगा। गलती तुम्हारीहै।नजानेकाफैसलालेनेसेपहलेतुम्हें मुझसेपूछनाचाहिए था।’’
‘‘इतनी देर से जाऊँगा तो टीचर क्या सोचेंगे!’’
‘‘उन्हें भी बता देना कि सिर में दर्द हो रहा था, इसलिए देर हो गई।’’
‘‘मैं ऐसा कहूँगा तो वह मुझे मारेंगे।’’
‘‘मारेंगे? कौन मारेंगे? देखता हूँ। नाम बताओ उनका।’’
‘‘सैमुअल।’’
‘‘क्या वह बच्चों को मारते हैं?’’
‘‘बहुत! बहुत मारते हैं, खासकर उन लड़कों को जो कुछ ज्यादा ही देर से आते हैं। कुछ दिन पहले देर से आनेवाले एक लड़के को उन्होंने कक्षा के एक कोने में पूरे पीरियड घुटनों पर खड़े रखा था। इतने से भी उनका जी नहीं भरा। उसे छड़ी से छह बार पीटा और कान भी मरोड़े। मैं सैमुअल सर की क्लास में देर से बिल्कुल भी नहीं जाना चाहूँगा।’’
—इसी संग्रह से
‘मालगुडी डेज’ जैसी लोकप्रिय रचना के महान् लेखक आर.के. नारायण ने उपन्यास के अलावा हमारे आस-पास के परिवेश की बहुत मर्मस्पर्शी कहानियाँ भी लिखी हैं। प्रस्तुत संग्रह में उनकी चर्चित और लोकप्रिय कहानियाँ चुनी गई हैं, जो हर आयुवर्ग के पाठकों को पसंद आएँगी।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
Kindly Register and Login to Tumakuru Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Tumakuru Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.