You must be logged in to post a review.
Jyotsna Milan Ki Lokpriya Kahaniya by Jyotsna Milan
ज्योत्स्ना मिलन की कहानियों का यह बहुवर्णी संकलन उनके रचना-संसार के सभी पहलुओं और विशेषताओं का प्रतिनिधित्व करता है। इनसे गुजरते हुए पाठक न केवल अपने व्यक्तित्व और संवेदना में गहरे डूबकर स्वयं को नए सिरे से पहचानेंगे, बल्कि अपने से बाहर जीवन-विस्तार को भी सर्वथा नई दृष्टि से जाँचने-परखने की चुनौती और सामर्थ्य खुद में विकसित होते हुए पाएँगे।
घिसी-पिटी चालू मुद्राओं और मुहावरों से सर्वथा अछूती मौलिक दृष्टि और तदनुरूप भाषाशैली उन्हें यहाँ अनायास और स्वतःस्फूर्त ढंग से उजागर होती दिखाई देगी। जैसा कि उनके पहले ही कथा-संग्रह पर वरिष्ठ लेखक अर्चना वर्मा का कहना था—‘‘स्त्री चेतना में प्रतिबिंबित जगत् का वह रूप, जो पुरुष क्या, अकसर स्वयं स्त्रियों की दृष्टि से भी परे होता है, उसे ज्योत्स्ना मिलन के अलावा किसी और ने टटोलने की कोशिश नहीं की है।’’ इस संकलन के पाठक उस वैशिष्ट्य को यहाँ भी पूरी तरह चरितार्थ होते हुए पाएँगे। साथ ही वह तत्त्व भी, जिसे उनकी समानधर्मा कहानीकार राजी सेठ ने रेखांकित किया है— ‘‘जीवनानुभव यहाँ भाषा द्वारा रचा नहीं जाता, बल्कि भाषा के भीतर से स्वतः ही बनता जाता है।’’
प्रस्तुत है ज्योत्स्ना मिलन की जीवन के विविध रंगों से सज्जित मर्मस्पर्शी-संवेदनशील लोकप्रिय कहानियों का संकलन।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
Kindly Register and Login to Tumakuru Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Tumakuru Digital Library.
Reviews
There are no reviews yet.