Adi Shankaracharya Evam Advait by Dr. Kamal Shankar Srivastava

श्री शंकराचार्य अलौकिक प्रतिभासंपन्न महापुरुष थे। वे असाधारण विद्वत्ता, तर्कपटुता, दार्शनिक सूक्ष्मदृष्टि, रहस्यवादी आध्यात्मिकता, कवित्व शक्ति, धार्मिक पवित्रता, कर्तव्यनिष्ठा तथा सर्वातिशायी विवेक और वैराग्य की मूर्ति थे। उनका आविर्भाव आठवीं शती में केरल के मालाबार क्षेत्र के कालड़ी नामक स्थान में नंबूदरी ब्राह्मण के घर में हुआ और बत्तीस वर्ष की आयु में हिमालय में केदारनाथ में निर्वाण हुआ। ज्ञान के प्राधान्य का साग्रह प्रतिपादन करनेवाले और कर्म को अविद्याजन्य माननेवाले संन्यासी आचार्य का समस्त जीवन लोकसंग्रहार्थ निष्काम कर्म को समर्पित था। उन्होंने भारतवर्ष का भ्रमण करके हिंदू समाज को एकसूत्र में पिरोने के लिए उत्तर में बदरीनाथ, दक्षिण में शृंगेरी, पूर्व में पुरी तथा पश्चिम में द्वारका में चार पीठों की स्थापना की। बत्तीस वर्ष की अल्पायु में अपने सुप्रसिद्ध ‘ब्रह्मसूत्र भाष्य’ के अतिरिक्त ग्यारह उपनिषदों तथा गीता पर भाष्यों की रचना करना, अन्य ग्रंथ और अनुपम स्रोत-साहित्य का निर्माण, वैदिक धर्म एवं दर्शन के समुद्धार, प्रतिष्ठा और प्रचार के दुःसाध्य कार्य को भारत में भ्रमण करते हुए, प्रतिपक्षियों को शास्त्रार्थ में पराजित करते हुए, अपने दर्शन की महत्ता का प्रतिपादन करते हुए तथा भारत की चारों दिशाओं में चार पीठों की स्थापना करते हुए संपादित करना वस्तुतः अलौकिक और अद्वितीय है।
युगांतरकारी आदि शंकराचार्य के लालित्यपूर्ण प्रेरणाप्रद जीवन का सांगोपांग दिग्दर्शन है यह अनुपम कृति।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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