Aiims Mein Ek Jung Ladte Huye by Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’

कोरोना
‘‘हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है
संघर्षों की गाथाएँ गायी है मैंने
मुझे आज भी गानी है।
मैं तो अपने पथ-संघर्षों का
पालन करते आया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
क्यों आए तुम कोरोना मुझ तक
अब तुमको तो बैरंग जाना है
पूछ सको तो पूछो मुझको
मैंने मन में क्या ठाना है।
तुम्हें पता है मैं संघर्षों का
दीप जलाने आया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है।
मैं तिल-तिल जल
मिटा तिमिर को
आशाओं को बोऊँगा,
नहीं आज तक सोया हूँ
अब कहाँ मैं सोऊँगा!
देखो, इस घनघोर तिमिर में,
मैं जीवन-दीप जलाया हूँ।
फिर कैसे पीछे हट जाऊँ मैं
सौगंध धरा की खाया हूँ।
हार कहाँ मानी है मैंने
रार कहाँ ठानी है
संघर्षों की गाथाएँ गायी
मुझे आज भी गानी है।’’
—रमेश पोखरियाल ‘निशंक’
6 मई, 2021, दिल्ली, एम्स
कक्ष-704, प्रातः 7:00 बजे

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

Kindly Register and Login to Tumakuru Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Tumakuru Digital Library.

Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Aiims Mein Ek Jung Ladte Huye by Ramesh Pokhriyal ‘Nishank’”