Arjun Ka Dwandwa by Deokinandan Gautam
आम धारणा है कि अर्जुन वास्तव में युद्ध से विरत हो रहे थे, वह तो भगवान् श्रीकृष्ण ने ही उन्हें युद्ध में ढकेल दिया। इस भ्रांत धारणा की जगह इस विषय में सुधीजन सुविचारित मत बना सकें, उनकी सहायता हेतु इस पुस्तक की रचना हुई है। इस हेतु महाभारत युद्ध-पूर्व की हलचलों का संज्ञान लिया है और युद्धभूमि पर पदार्पण के समय की चर्चा भी की गई है। गीता के ज्ञान ने अर्जुन को कतई बरगलाने का काम नहीं किया था, अपितु उन्होंने इस ब्रह्मज्ञान को हृदय से स्वीकार किया था। इसका प्रमाण उनकी शांतिकाल की जिज्ञासा के वर्णन में दिया गया है। इस प्रसंग में ‘अनुगीता’ पर भी संक्षिप्त चर्चा की गई है। इससे महाभारत ग्रंथ के ज्ञान के खजाने के रूप में भी पाठक को कतिपय परिचय मिल सकेगा।
Publication Language |
Hindi |
---|---|
Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
Kindly Register and Login to Tumakuru Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Tumakuru Digital Library.
You must be logged in to post a review.
Reviews
There are no reviews yet.