Ayodhya Ka Ravan Aur Lanka Ke Ram by Dinkar Joshi
राम के चरित्र में भगवान् राम का व्यक्ति के रूप में और उनके व्यक्तित्व के संदर्भ में केवल दो नहीं, व्यासकर्मी लेखक ने कई आँखों से निरीक्षण-दर्शन किया है। राम के बारे में वसिष्ठ की दृष्टि, विश्वामित्र का नजरिया, जनक-सुनयना-जानकी, पुरवासी, महाराज दशरथ, कौशल्यादि माताएँ, भरतादि भाई, निषाद समुदाय, गिद्धराज जटायु, असुर, सुग्रीवादि वानर समुदाय, शूर्पणखा, शबरी, मंदोदरी, स्वयं रावण—सूची बहुत लंबी हो सकती है; पर इन सबने राम को भिन्न-भिन्न दृष्टि से देखा है, अपनी-अपनी सोच एवं अवधारणाओं के आधार पर। परंतु भरे हुए एक करोड़ कुंभों में भिन्न-भिन्न प्रतीत होता सूर्य तत्त्वतः एक ही है। भगवान् राम के संदर्भ में ऐसा ही कहा-समझा जा सकता है। सबने अपनी रुचि एवं मानसिक गुण-दोष के आधार पर राम का दर्शन किया है।
—मोरारी बापू
प्रस्तुत पुस्तक में भगवान् राम के सभी रूपों के दर्शन होते हैं। उनकी लोकप्रियता तथा लोकमानस के राममय होने का रहस्य इसमें है। श्रद्धा और आस्था का तेजोमय भक्तिघट है यह पुस्तक।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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