Belag Lapet by R.K. Sinha

इस पुस्तक का हर लेख एक विषय पर केंद्रित है। किसी को कम श्रेष्ठ कहना कठिन काम है। पुस्तक के लेखों का समग्र फलक बहुत बड़ा है। इसकी व्यापकता में राजनीति, संसद्, राजनीतिक मर्यादा, संस्कृति, राजनीतिक इतिहास, शिक्षा, देश के ज्वंलत प्रश्न, हिंदू-मुसलिम संबंध, पाकिस्तान और काला धन आदि विषय समाए हुए हैं। राजनीति के केंद्र और परिधि में जो-जो विषय आ सकते हैं, उन्हें इसमें पाया जा सकता है। एक अर्थ में यह कहना ज्यादा उचित है कि इसमें समसामयिक विषयों में से कुछ छूटा ही नहीं है। सब कुछ आ गया है। विषय अलग-अलग हैं। इन्हें पढ़ते हुए पाठक भाषा का मनोरम प्रवाह अनुभव कर सकेंगे। उलझाव तो कहीं नहीं है। एक राजनीतिक दल के नेता और सांसद की कलम पर कई बार इतना बोझ आ जाता है कि वह ठिठक जाती है। कुंठित हो जाती है। इसे लेखन में लेखक कोशिश कर छिपाता है, पर वह छिपता नहीं है। रवींद्र किशोर सिन्हा ने न तो बोझ महसूस किया है और न ही वे लेखन में कहीं से पाठक को गुफाओं से गुजारते हैं। इसलिए इन लेखों को पढ़ते हुए किसी गुफा से गुजरने की ऊब नहीं होती। हर पाठक अनुभव कर सकता है कि वह पौ फटने की बेला में है। नया दिन नए विचार और नए दृष्टिकोण से शुरू करने का उसे सुअवसर प्राप्त हो रहा है। अपनी राजनीतिक-सांस्कृतिक निष्ठा बनाए रखते हुए वे पेशेवर मर्यादाओं का अपने लेखों में पूरा पालन करते देखे जा सकते हैं।
—इसी पुस्तक से

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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