Bhagini Nivedita by Rachna Bhola Yaminee

भगिनी निवेदिता स्वामी विवेकानंदजी की मानस पुत्री थीं जिनका वास्तविक नाम ‘मारग्रेट नोबल’ था पर स्वामीजी के शिष्य उन्हें सम्मान के साथ ‘भगिनी निवेदिता’ कहकर पुकारते थे। बाद में उनका यही नाम प्रचलित हो गया। श्रीअरविंद घोष उन्हें ‘भगिनी निवेदिता’ कहते थे और गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर ने उन्हें ‘लोकमाता’ का संबोधन दिया। उन्होंने तन-मन-धन से भारतवासियों को सदा सच्ची सेवा का पाठ पढ़ाया, तत्कालीन नारी समाज में जागृति का शंखनाद किया और स्वतंत्रता संग्राम में भी अपना अमूल्य योगदान दिया।
स्वामीजी ने उनके सामने एक हिंदू नारी का आदर्श रखा था, जो त्याग, सेवा, सहनशीलता, लज्जा, स्नेह, मर्यादा आदि गुणों से विभूषित हो, जो अपनी चारित्रिक दृढ़ता के बल पर संसार को जीना सिखाती है। निवेदिता ने सहर्ष इसी रूप को अपनाया और भारतवासियों की सेवा के व्रत से कभी नहीं डिगीं। उनके विषय में गुरुदेव टैगोर ने एक बार कहा था—‘अधिकतर लोग समय से, धन से व तन से सेवा करते देखे गए हैं, किंतु निवेदिता दिल से सेवा करती हैं।’
मानवता की सच्ची सेवा करनेवाली भगिनी निवेदिता की प्रेरणादायी जीवन-कथा जो न केवल पठनीय है, अपितु अनुकरणीय भी है।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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