Bharat Ka Samvidhan by Dr. Pramod Kumar Agrawal

भारत का संविधान
संविधान का राष्‍ट्रीय लोक-विमर्श आज भी लगभग पूरी तरह अंग्रेजी भाषा का मुखापेक्षी है। इस विमर्श में आम आदमी की छवि एवं उनके सरोकार तो नजर आते हैं, किंतु आम आदमी की भाषा सुनाई नहीं देती। इस ग्रंथ में हिंदी में विवेकसंगत एवं संतुलित संविधान-विमर्श के साथ ही आम आदमी की समझ में आनेवाली भाषा प्रयोग की गई है। संविधान-रचना की पृष्‍ठभूमि और व्याख्या की दृष्‍टि से यह ग्रंथ हिंदी भाषा में संविधान-साहित्य को एक अमूल्य और बेजोड़ उपहार है।
प्रस्तुत ग्रंथ में संविधान के विविध पक्षों पर सरल एवं सुबोध भाषा में प्रकाश डाला गया है। इसमें संविधान के उलझे हुए प्रश्‍नों के विवेचन के साथ-साथ संविधान के विषयों का अनुच्छेद-आधारित उल्लेख भी है। संविधान की रचना की पृष्‍ठभूमि देते हुए बताया गया है कि कई ‘अर्धवैधानिक’ नियम भी संविधान एवं शासन प्रबंध की व्यावहारिकता में महत्त्वपूर्ण होते हैं। उन सबको लेकर एक सांगोपांग एवं सर्वतोमुखी संवैधानिक विवेचन इस ग्रंथ में समाविष्‍ट है, जिसमें इतिहास है, राजनीति है, समाजशास्‍‍त्र है।
इस ग्रंथ की विशेषता है कि यह सरल, सुबोध एवं सुव्यवस्थित होने के साथ-साथ अध्ययनशील स्पष्‍टता, प्रामाणिकता एवं गुणवत्ता से भी संपन्न है।
—डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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