Bhopal Gas Trasadi Ka Sach by Moti Singh

भोपाल गैस त्रासदी का सच

सन् 1984 में घटी भोपाल गैस त्रासदी को आज कौन नहीं जानता। भोपाल स्थित यूनियन कार्बाइड कारखाने से निकली जहरीली गैस ने अर्धरात्रि में सो रहे हजारों लोगों की जान ले ली थी। उस हत्यारी गैस ने सैकड़ों मासूम बच्चों, स्‍‍त्रियों और निर्दोष युवक-वृद्धों को सदैव के लिए मौत की नींद सुला दिया था। उस दुर्घटना में मानव ही नहीं, हजारों पशुओं—भैंसों, गायों, बकरियों, कुत्तों एवं अन्य जीवों—को भी अपने प्राणों से हाथ धोने पड़े थे।
जब वह त्रासदी हुई, मानवता चार-चार आँसू रो रही थी। उस समय आम लोगों, अनेक सामाजिक संस्थाओं एवं स्वयंसेवी संगठनों ने भी राहत-कार्यों में बढ़-चढ़कर योगदान दिया था। यही मानवता का तकाजा भी था। किंतु वहीं दूसरी ओर कुछ प्रभावशाली अधिकारियों व डॉक्टरों के नाकारापन और गुनहगारों को बचाने के एक सूत्रीय कार्यक्रम एवं स्वार्थी तत्त्वों ने कर्मठ व ईमानदार प्रशासनिक अधिकारियों, डॉक्टरों तथा सरकारी अमले की मानवीयता व कर्तव्यपरायणता तथा गैस-पीड़ितों को झिंझोड़कर रख दिया। उस समय यूनियन कार्बाइड कारखाने के कर्ता-धर्ताओं से लेकर इन सरकारी आला अफसरों ने पीड़ित जनों के प्रति जो बेरुखी दिखाई, उस घटना के अपराधियों को बचाने के लिए जो तिकड़में भिड़ाईं—वह अपने आप में अलग ही दास्तान है।
आज बहुत से लोग भोपाल गैस त्रासदी के सच को नहीं जानते। इस पुस्तक में उस कड़वे सच से रू-बरू कराया गया है तथा अनेक अजाने रहस्यों का उद‍्घाटन किया गया है। विश्‍वास है, प्रस्तुत पुस्तक को पढ़कर पाठकगण एक बहुत बड़ी सच्चाई से अवगत होंगे।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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