Bujha Charag Hoon by Shailja Narhari

उसके हाथों में हाथ था लेकिन
दिल ही दिल में हज़ार डर आए
—शैलजा नरहरि
वरिष्ठ ग़ज़लकार श्री नरहरि अमरोहवी जी की जीवनसंगिनी शैलजा नरहरि ने नारी-जीवन के द्वंद्व और पीड़ा को अपनी ग़ज़लों की विषयवस्तु बनाया। शैलजा नरहरि जी ’90 के दशक तक देश के विभिन्न मंचों पर खूब सक्रिय और चर्चित रहीं। मंचों पर बढ़ती हुई फूहड़ता से खिन्न होकर धीरे-धीरे उन्होंने ख़ुद को मंचों से अलग कर लिया और पूर्णकालिक साहित्य-सृजन में व्यस्त हो गईं। एक धीर-गंभीर शायरा के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि स्वरूप, उनकी क़रीब 400 ग़ज़लों में से कुछ चुनिंदा ग़ज़लों का चयन और संपादन करके मैंने यह संग्रह सुधी पाठकों के समक्ष प्रस्तुत किया है।
मुझे विश्वास है कि पाठकों को ग़ज़लों का यह संग्रह पसंद आएगा।
—दीक्षित दनकौरी
दिल्ली
मो. : 9899172697
मुझे यह जानकर बहुत खुशी हुई कि ‘ग़ज़ल कुंभ 2020’ में इस बार वरिष्ठ शायरा (स्व.) शैलजा नरहरि जी की चुनिंदा ग़ज़लों का पहला ग़ज़ल-संग्रह प्रख्यात ग़ज़लकार दीक्षित दनकौरी जी के संपादन में प्रकाशित हो रहा है।
बुझा चरा़ग हूँ अब मेरी ज़िंदगी क्या है
कोई न मुझसे ये पूछे कि रौशनी क्या है
*****
मेरे बिकने का ज़िक्र जायज़ है
मेरे माथे पे मेरे दाम लिखो
जैसे मार्मिक शे’रों के माध्यम से मानवीय मन, विशेषकर नारी-मन के दर्द और द्वंद्व को व्यक्त करनेवाली उस दिवंगत आत्मा को विनम्र श्रद्धांजलि।
दीक्षित दनकौरी जी को इस श्रमसाध्य नेक काम के लिए साधुवाद, कि उन्होंने एक और अच्छी शायरा के कलाम से ग़ज़ल-प्रेमी पाठकों को रू-ब-रू कराया।
‘ग़ज़ल कुभ 2020’ के सफल और सार्थक आयोजन के लिए शुभकामनाओं के साथ नववर्ष 2020 की हार्दिक बधाई एवं मंगलकामना।
—बसंत चौधरी
1 जनवरी, 2020

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

Kindly Register and Login to Tumakuru Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Tumakuru Digital Library.

Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Bujha Charag Hoon by Shailja Narhari”