Chand Tum Gawah Rahna by Pankaj Sharma
सोलह बरस के पत्रकारिता कॅरियर और छत्तीस बरस की ज़िंदगी के स़फर में जो रंग देखे, उन्हें बस कह दिया, ताकि यहाँ की बातें यहीं कहता चलूँ और जाते व़क्त दिल पर कोई बोझ न हो।
जो कहा, वो रत्ती भर भी काल्पनिक नहीं है, सब देखा, सुना और महसूस किया और बिना किसी ल़फ़़्फाज़ी के वैसा-का-वैसा कह दिया और यही मेरी किताब की सबसे बड़ी खासियत है।
मेरे लिखे को अगर सत्तर साल का कोई बुज़ुर्ग पढ़े या सत्रह साल का नौजवान, उसे लगेगा कि ये तो उसकी ही बात है, जो वो नहीं कह पा रहा था और मैंने कह दी।
इस किताब में जो रंग हैं, उनमें सबसे गाढ़ा रंग इश़्कका है। इश़्क जिसमें मिलन का निमंत्रण है, मिल जाने का उल्लास है, बिछड़ने का दर्द है, क्रोध है, नाराज़गी है, यादों की टीस है, फिर से मिलने की उम्मीद है और फिर सबकुछ भुलाकर इश़्क को वैराग्य की ओर ले जाने का रास्ता है। ये रंग हर किसी की इश्क़िया शायरी या कविताओं में होते हैं, लेकिन ये औरों से अलग इसलिए हैं, क्योंकि इनमें हर उम्र, हर दौर के व्यक्ति को अपना इश़्क याद आता है—वो भी बहुत सरल और सहज शब्दों में।
ये विविधता भरे रंग ही हैं, जो इस किताब को अलग आयाम देते हैं। गागर में सागर उँड़ेला है, जिसकी हर बूँद हर किसी को भिगो जाती है।
बाज़ार की शर्तें समझता हूँ, लेकिन यकीन दिलाता हूँ कि मेरा लेखन उन
सभी शर्तों पर खरा उतरने की काबिलियत रखता है।
| Publication Language |
Hindi |
|---|---|
| Publication Type |
eBooks |
| Publication License Type |
Premium |
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