Desh-Videshon Ki Rashtriya Vichardharayen by Dr. Ashok Modak, Prof. Prabhakar Nanakar, Prof. Narayan Gune
सामयिक राष्ट्रीय विचारधारा का प्रभाव राष्ट्र के इतिहास में कैसा महत्त्वपूर्ण रहता है, यह इस पुस्तक का मुख्य विषय है। पुस्तक का विभाजन छह भागों में किया है। पहले भाग में विचारधारा और राष्ट्रीय विचारधारा की संकल्पना, अर्थ तथा विशेषता स्पष्ट की गई है। दूसरे भाग में सामयिक राष्ट्रीय विचारधारा के प्रभाव के संदर्भ में जापान, जर्मनी, इंग्लैंड, अमेरिका, रूस, पूर्व-यूरोपीय राष्ट्र, मध्य-एशियन राष्ट्र, टर्की आदि देशों के इतिहास की चर्चा है। तीसरे भाग में भारतीय राष्ट्रीय विचारधारा और भारतीय संविधान का विवरण है। चौथे भाग में राष्ट्रीय विचारधारा के संवर्धन हेतु राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, कांग्रेस, अनेक संप्रदायों, विविध मंदिरों और तीर्थ स्थानों के प्रयास का लेखा-जोखा प्रस्तुत है। भाग पाँच में राजकीय विचारधारा, उनके स्वतंत्रता के बाद किए हुए कार्य का और उनके सामने स्थित चुनौतियों का विवरण है। छठे भाग में सामयिक राष्ट्रीय विचारधारा की एकात्म शक्ति ही राष्ट्र की सभी समस्याओं का हल निकाल सकती है, इस सत्य का निरूपण किया है।
विश्व प्रसिद्ध शास्त्रज्ञ पद्मभूषण डॉ. विजय भटकर ने इस पुस्तक की प्रस्तावना में लिखा है—भारतीय संस्कृति शाश्वत है। इसी भारतीय संस्कृति से भारतीय राष्ट्रीय विचारधारा का निर्माण हुआ है। देश के सभी स्तर पर भारतीय राष्ट्रीय विचारधारा का अध्ययन होना आवश्यक है। इस अध्ययन को गति प्रदान करने के लिए इस पुस्तक का उपयोग हो सकता है। सभी नागरिकों को राष्ट्रीय विचारधारा की समन्वयी शक्ति का प्रभाव किस प्रकार हो सकता है, इसकी जानकारी इस पुस्तक द्वारा अवश्य प्राप्त होगी।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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