Girnar Ke Siddha Yogi by Anantrai G. Rawal

अनंत दास संघ शिविर में तथा संघ शिक्षा वर्ग में ‘बौद्धिक कक्ष’ में सेवारत होने के कारण संघ साधना के तपस्वी और ऋषितुल्य प्रचारकजी के संग रहे हैं। राष्ट्रभावना के संस्कार उनमें दृढ़ हो गए। महापुरुषों-तपस्वियों के जीवन चरित्रों का वाचन, लेखन, चिंतन और पूर्वाश्रम के संस्कारों के कारण भी वे कभी-कभी स्वयं का जूनागढ़ गिरनार के प्रति अतिशय आकर्षण होना बताते हैं। समय मिलते ही वे यदा-कदा गिरि-कंदराओं में जाकर साधु-संतों के संपर्क में रहते थे; वे गिरनार के प्रति गैबी-प्रेरणा का तीव्र आकर्षण बताते थे और सच ही सेवानिवृत्ति के बाद अनंत दादा ने गिरनार का पथ पकड़कर, गिरनार में निवास करने वाले श्रेष्ठ तपस्वियों, आदर्श साधु-संतों और आश्रमों में रहकर तप, साधना, विचार, वाचन, चिंतन, अनुभव एवं चमत्कारी अनुभूतियाँ प्राप्त की हैं। उनके परिणामस्वरूप और किसी गैबी शक्ति की प्रेरणा से ‘अमृत फल स्वरूप’, ‘गिरनार के सिद्ध योगी’ पुस्तक का सृजन हुआ है।
यथार्थ में, पुस्तक में ‘गिरनार’ के सूक्ष्म स्वरूप का दर्शन करवाकर सभी आध्यात्ममार्गियों की श्रद्धा को पुष्ट किया है और सद्गुरु चरित्र का सटीक वर्णन करके समाज में साधु-संतों की सुंदर पहचान करवाई है। यह पुस्तक लंबे समय तक अध्यात्ममार्गियों का मार्गदर्शन करती रहेगी, इसमें कोई शंका नहीं है।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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