Google Nirmata Sergey & Larry by Pradeep Thakur

मार्च 1996 में स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी के दो पी-एच.डी. के शोधार्थी लॉरेंस (लैरी) पेज व सर्गेई ब्रिन ने वेब सर्च इंजन शोध-परियोजना बैक रब पर एक साथ काम शुरू किया था। तब किसी को भी नहीं पता था कि निकट भविष्य में यह गूगल का रूप धारण कर विश्वव्यापी होनेवाला है।
लैरी पेज ने सपनों को पालना सीखा था—उतना बड़ा सपना, जो बहुत ही कम लोग देख पाते हैं। विश्व के सबसे युवा अरबपतियों में शामिल होने के बाद भी लैरी पेज ने न तो उसपनों को पालना छोड़ा है और न ही अपनी बचपन की शिक्षा-दीक्षा को धूमिल होने दिया।
गूगल की महारथी जोड़ी का अभिन्न हिस्सा हैं सर्गेई ब्रिन। वैसे तो लैरी व सर्गेई दोनों यहूदी हैं; लेकिन जातीयता ने लैरी के मुकाबले सर्गेई के परिवार को बहुत ज्यादा प्रभावित किया था। तत्कालीन सोवियत संघ की राजधानी मास्को में यहूदियों से किए जा रहे विकट भेदभावपूर्ण वातावरण में सर्गेई ब्रिन का लालन-पालन हुआ था। संभवतः यही कारण रहा कि अपने मित्र लैरी की तरह सर्गेई ने भी अपने पारिवारिक संघर्ष को भुलाया नहीं, वरन् वैचारिक शक्ति बना लिया। यदि लैरी पेज ने अपने दादा के हथौड़े को स्मरण-प्रतीक बनाया तो सर्गेई ब्रिन ने हँसिया को।
विश्वास है कि गूगल के संस्थापकों की यह कहानी सभी सुधी पाठकों के लिए प्रेरणादायी सिद्ध होगी।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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