Ishwar Ki Atmakatha by Saral-Manoj

ईश्वर की आत्मकथा दरअसल एक नजरिया है, जिसे अपनाकर कोई भी इनसान कुदरत और ईश्वर के साथ अपने रिश्ते को सभी प्रकार के पूर्वग्रहों से मुक्त होकर महसूस कर सकता है। यह किताब किसी धर्म के आधार पर नहीं बल्कि जीवन के परिप्रेक्ष्य में ईश्वर की एक संतुलित और साश्चर्यपूर्ण अवधारणा को अभिव्यक्ति देती है।
ईश्वर की आत्मकथा तेरे-मेरे ईश्वर की बजाय सबके ईश्वर को केंद्र में रखती है। यह आत्मकथा धरती पर मौजूद हर इनसान के लिए है और हर इनसान ईश्वर की आत्मकथा के नजरिए को अपनाकर अपने ईश्वरीय अस्तित्व का बोध कर सकता है।
यह किताब उन समस्याओं और दुविधाओं के प्रति भी इनसानों को आगाह करती है, जो बाकी जीवों के जीवन और कुदरत के सहज संचालन में इनसानों के अंधाधुंध हस्तक्षेप के कारण विकट रूप लेती जा रही हैं। ईश्वर की आत्मकथा कोई पवित्र या पूजनीय ग्रंथ नहीं है, बल्कि यह एक चिंतनप्रवाह है, जिसमें पुरानी धारणाओं, स्मृतियों और मान्यताओं को बहाकर कोई भी अपने मन का बोझ हटा सकता है और अपने ऌखाली मन-मस्तिष्क को ईश्वरीय एवं कुदरती सहजता के अहसासों से भर सकता है।
ईश्वर की आत्मकथा का उद्देश्य एक ऐसे सहज-सरल और सर्वसुलभ ईश्वर के साथ इनसानों का साक्षात्कार कराना है, जो किसी चामत्कारिक विशिष्टता और रहस्यमयता का लबादा पहने बगैर सभी के भीतर मौजूद है। इनसान को अपने सहज ईश्वरत्व की ओर वापस लाना ही इस आत्मकथा की नियति है।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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