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Jo Nahin Laute by Narottam Pandey
माता और मातृभूमि को स्वर्ग से भी बढ़कर बताया गया है । वस्तुत: इनसे वियोग सबके लिए दु:खदायी रहा है, चाहे वह उन्नीसवीं सदी का निपट गँवार, फुसलाकर भेजा गया अनपढ़ पतिराम हो या आधुनिक बुद्धिजीवी, जिन्होंने स्वेच्छा से देश-त्याग किया हो ।
पतिराम एक व्यक्ति नहीं, एक वर्ग है, जो बेहतरी की खोज में शोषण, उत्पीड़न का शिकार होता है; जो तत्कालीन युग- सत्य था ।
प्रस्तुत पुस्तक में उस अंचल के जीवन, सामाजिक और तत्कालीन मूल्यों को अभिव्यंजित किया गया है, जहाँ से अधिकांश बँधुआ मजदूर अनजाने में ही दुनिया की विभिन्न कर्मभूमियों में दूसरों की आर्थिक समृद्धि के लिए नियत हुए थे । कुछ लौट आए, ज्यादा वही हैं, जो नहीं लौटे ।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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