Mamla Khudre Ka by Prashant Karan

हिंदी साहित्य के व्यंग्य लेखन की विधा मुझे प्रारंभ से ही बड़ी लुभाती रही। करीब-करीब सारे व्यंग्य लेखकों को पढ़ने और उनसे सीखने का सौभाग्य मिला। व्यंग्य लेखन में गंभीर विषयों पर चुटीले अंदाज में प्रतीकात्मक और परोक्ष रूप से अपनी बातें रखकर सरल तरीके से पाठकों तक पहुँचाया जाता है। अपनी रचनाओं में लेखकों का यह कतई उद्देश्य नहीं होता कि किसी की भावना को ठेस पहुँचाई जाए अथवा नकारात्मक बातों को प्रेषित किया जाए। मैंने भी व्यंग्य लेखन के क्रम में ईमानदारी से इस मर्यादा को पालन करने का प्रयास किया है। लेखन का एकमात्र उद्देश्य यह है कि नकारात्मकता को भी सकारात्मकता के साथ प्रस्तुत कर समाज को सजग और सचेत किया जाए। इन्हीं शुद्ध भावों के साथ अपनी इक्यावन रचनाओं के संकलन के साथ आपके समक्ष सेवाभाव से उपस्थित हूँ।
पुलिस सेवा में रहने के कारण समाज को, व्यक्तियों, परिस्थितियों, घटनाओं, शासन की व्यवस्थाओं को काफी निकट से देखने-समझने का अनुभव और सौभाग्य प्राप्त हुआ। जिन-जिन तथ्यों एवं परिस्थितियों ने मुझे संवेदित किया, उन्हें अपनी रचनाओं में विभिन्न प्रकार से समायोजित करने का प्रयास मैंने किया है। इस पुस्तक के माध्यम से आप पाठक ही यह निर्णय कर पाएँगे कि मैं इसमें कितना सफल हुआ।
—प्रशांत करण

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

Kindly Register and Login to Tumakuru Digital Library. Only Registered Users can Access the Content of Tumakuru Digital Library.

Reviews (0)

Reviews

There are no reviews yet.

Be the first to review “Mamla Khudre Ka by Prashant Karan”