Nai Madhushala    by Sunil Bajpai ‘Saral’

आदरणीय हरिवंशराय ‘बच्चन’ द्वारा लिखित ‘मधुशाला’ से
प्रेरित होकर लिखी गई इस ‘नई मधुशाला’
में कवि सुनील बाजपेयी ‘सरल’ ने जीवन, दर्शन, संसार, नीति, भक्ति, देशभक्ति,
शृंगार इत्यादि विषयों पर मधुछंदों को प्रस्तुत किया है। यह मधुशाला बच्चनजी द्वारा लिखित मधुशाला के छंदों की लय और छंद-विन्यास के अनुसार ही लिखी गई
है। हर छंद का अंत मधुशाला शब्द पर ही होता है। प्रत्येक मधुछंद प्रत्यक्ष रूप से मधुशाला का ही वर्णन करता है, किंतु परोक्ष रूप से मधुशाला को माध्यम बनाकर गूढ़ दार्शनिक विचारों को अभिव्यंजित किया गया है। इस पुस्तक को बार-बार पढि़ए। जितनी बार पढ़ेंगे, हर बार और अधिक आनंद की प्राप्ति होगी।
मुझे चाह थी बन जाऊँ मैं,
एक सही पीनेवाला।
मदिरालय में एक बार आ,
कुछ सीखा पीना हाला।
एक बार की कोशिश लेकिन,
पूरा काम नहीं करती;
पीने में पांडित्य प्राप्त हो,
बार-बार आ मधुशाला॥

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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