Raag Ashesh by raviraj Patel
‘राग-अशेष’ अरुणोदय जी के वैयक्तिक निबंधों का एक सुंदर संकलन है। इसमें संकलित निबंध जीवन-जगत् के विवि विषयों से सम्बद हैं। लेखक के दृष्टिपथ में व्यक्ति से लेकर परिवार, समाज, राष्टऊ और पूरी विश्व-मानवता है। विषयगत वैवियों के अनुरूप ही इसकी भाषा-शैली भी बहुरूपिणी और बहुंगिनी है। संक्षेपतः यह संग्रह मनोरंजक और ज्ञानवर्दंक होने के अतिरिक्त आश्वस्तिकारक भी है। निश्चय ही साहित्य के साथ समग्र समाज के लिए यह एक शुभ संकेत है।
प्रस्तुत संग्रह के निबंध अपनी जिन प्रीन विशेषताओं से ध्यान आकृष्ट करते हैं, उनमें सर्वप्रमुख है – उन्मुक्त आत्माभिव्यक्ति।
समग्रतः ‘राग-अशेष’ हिन्दी निबंध के क्षेत्र में एक नवीन हस्तक्षेप है। भाव-संपदा के साथ कला-सौष्ठव की दृष्टि से भी यह एक उत्ःष्ट निबंध -संग्रह है। इसकी भाषा-शैली में सरलता, सहजता एवं सजीवता के साथ पर्याप्त प्रवहमानता है। कहीं-कहीं बड़ी से बड़ी बात को भी अतिसंक्षेप में कह दिया गया है, यथा- लआज दही जमे या न जमे, हमारा मन जरूर जम गया है़, लहाथ पकड़कर आपको कोई उठा सकता है, दौड़ा नहीं सकता़ आदि। वस्तुतः इस प्रकार के सूत्रवाक्यों में ज्ञान और अनुभव का एक समृद संसार समाहित है।
डॉ. नागेन कुमार शर्मा
| Publication Language |
Hindi |
|---|---|
| Publication Type |
eBooks |
| Publication License Type |
Premium |
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