Ruskin Bond Ki Lokpriya Kahaniyan by Ruskin Bond

तुम्हारे दादाजी लॉयन ट्रेनर बने हैं?’’ गौतम ने पूछा।
‘‘मुझे ऐसा नहीं लगता। मैंने कहा, ‘‘उन्होंने शेरों के साथ कभी अभ्यास नहीं किया है। उन्हें बाघों के साथ ठीक लगता है!’’ लेकिन बाघों के साथ कोई और था।
‘‘हो सकता है वो जादूगर बने हों।’’ मिलेनी ने राय दी।
‘‘वो जादूगरों से ज्यादा लंबे हैं।’’ मैंने कहा।
गौतम ने फिर एक अनुमान लगाया, ‘‘शायद वो दाढ़ीवाली औरत बने हों!’’
जब दाढ़ीवाली औरत हमारी तरफ आई तो हमने उसे गौर से देखा। उसने हमारी ओर दोस्ताना तरीके से हाथ हिलाया और गौतम ने उससे पूछ लिया, ‘‘माफ करिएगा, क्या आप रस्किन के दादाजी हैं?’’
‘‘नहीं डियर।’’ उसने जोर से हँसते हुए जवाब दिया, ‘‘मैं उसकी गर्लफ्रेंड हूँ!’’ और फिर वो रस्सी कूदती हुई रिंग के दूसरी ओर चली गई।
फिर एक जोकर हमारे पास आया और तरह-तरह के चेहरे बनाने लगा।
‘‘क्या आप दादाजी हैं?’’ मिलेनी ने पूछा।
—इसी पुस्तक से
रस्किन बॉण्ड लेखन में अपने आस-पास के लोग, परिस्थितियाँ, परिवेश ऐसे गूँथते हैं कि पाठक उससे बँध जाता है और वह कहानी-कथानक उसे अपनी ही गाथा लगने लगती है। जीवन की छोटी-से-छोटी घटना को एक मजेदार कहानी गढ़ देने में रस्किन बॉण्ड सिद्ध हैं। उनकी बेहद लोकप्रिय एवं पठनीय कहानियों का संग्रह।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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