Samudri Jaiv-Proudhyogiki by Dr. D.D. Ozha , Dr. R. Kripakaran

वर्तमान युग में जैव प्रौद्योगिकी, नैनो-प्रौद्योगिकी तथा बायो-नैनोटेक्नोलॉजी बहुआयामी तथा बहूपयोगी तकनीकें हैं, जिनका सदुपयोग मानव कल्याण एवं संधारणीय विकास के लिए देश-विदेश में हो रहा है। यह सर्वविदित तथ्य है कि समुद्र हमारे बहुत ही महत्त्वपूर्ण संसाधन हैं, जो चिरकाल तक हमें अनेकानेक वस्तुओं के प्रदाता रहेंगे। वस्तुतः जैव प्रौद्योगिकी की अनेक शाखाएँ हैं, जो भविष्य में एक विज्ञान का रूप लेंगी, जिसमें समुद्री जैव प्रौद्योगिकी भी एक प्रमुख शाखा है, जिसका उद्भव लगभग दो दशक पूर्व ही हुआ है और इस विषय पर हिंदी में पुस्तक का नितांत अभाव है; इस पुस्तक के माध्यम से उस अभाव की पूर्ति करने का प्रामाणिक प्रयास किया है।
समुद्री जैव प्रौद्योगिकी शीर्षक पुस्तक में जैव प्रौद्योगिकी की प्रासंगिकता, समुद्री संसाधन से औषधियाँ, रसायन, समुद्री शैवाल एवं उनकी विभिन्न क्षेत्रों में उपादेयता, जलकृषि, पर्यावरणीय जैव प्रौद्योगिकी, एन.आई.ओ.टी. में समुद्री जैव प्रौद्योगिकी विषयक जनोपयोगी शोधकार्य तथा महासागरीय शोधक्षेत्र में कार्यरत राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय संगठन आदि के बारे में सरल एवं बोधगम्य भाषा में जानकारी प्रदान करने का प्रयास किया गया है। पुस्तक में वर्णित सारणियों, श्वेत-श्याम एवं रंगीन चित्रों से विषय को समझने में आसान बना दिया है। विद्यार्थी, शोधार्थी, वैज्ञानिक ही नहीं, सामान्य पाठकों के लिए भी एक जानकारीपरक उपयोगी पुस्तक।

Publication Language

Hindi

Publication Type

eBooks

Publication License Type

Premium

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