Schooli Shiksha Aur Mid-Day Meal Yojana by Rajesh Raman
अधिक छात्रों के नामांकन और अधिक छात्रों की नियमित उपस्थिति के संबंध में स्कूल भागीदारी पर मिड-डे मील योजना का महत्त्वपूर्ण प्रभाव पड़ता है। अधिकतर बच्चे खाली पेट स्कूल पहुँचते हैं। जो बच्चे स्कूल आने के पहले भोजन करते हैं, उन्हें भी दोपहर तक भूख लग आती है और वे अपना ध्यान केंद्रित नहीं कर पाते हैं। मिड-डे मील बच्चों के लिए ‘पूरक पोषण’ के स्रोत और उनके स्वस्थ विकास के रूप में भी कार्य कर सकता है। यह समतावादी मूल्यों के प्रसार में भी सहायता कर सकता है, क्योंकि कक्षा में विभिन्न सामाजिक पृष्ठभूमिवाले बच्चे साथ में बैठते हैं और साथ-साथ खाना खाते हैं।
विशेष रूप से मिड-डे मील स्कूल में बच्चों के मध्य जाति व वर्र्ग के अवरोध को मिटाने में सहायता कर सकता है। स्कूल की भागीदारी में लैंगिक अंतराल को भी यह कार्यक्रम कम कर सकता है, क्योंकि यह बालिकाओं को स्कूल जाने से रोकनेवाले अवरोधों को समाप्त करने में भी सहायता करता है।
मिडे-डे मील योजना छात्रों के ज्ञानात्मक, भावनात्मक और सामाजिक विकास में मदद करती है। सुनियोजित मिड-डे मील को बच्चों में विभिन्न अच्छी आदतें डालने के अवसर के रूप में उपयोग में लाया जा सकता है।
भारत में स्कूली शिक्षा के विस्तार और विकास पर विवेचनात्मक दृष्टि डालती तथा उसमें ‘मिड-डे मील’ के महत्त्व को रेखांकित करती सामाजिक समरसता जाग्रत् करनेवाली पुस्तक।
| Publication Language |
Hindi |
|---|---|
| Publication Type |
eBooks |
| Publication License Type |
Premium |
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