Vikramshila Ka Itihas by Thakur Parshuram Brahmavadi
पुरातत्त्व की खोज और पहचान विश्व इतिहास को आश्चर्यचकित कर सकते हैं। विक्रमशिला के पुरावशेषों का ऐतिहासिक, भौगोलिक, भूगार्भिक एवं सांस्कृतिक अध्ययन करने से अरबों वर्षों का इतिहास सामने आया है और जो हड़प्पा, सिंधु, सुमेरु, सुर, असुर, देव गंधर्व, नाग, कोलविध्वंशी, शिव, इंद्र, राम, कृष्ण, आर्या देवी सभ्यताओं एवं संस्कृति के साथ-साथ विश्व विकास के मूल इतिहास का प्रामाणिक साक्ष्य प्रस्तुत करते हैं।
विक्रमशिला खुदाई स्थल से प्राप्त पुरातात्त्विक सामग्रियों में कांस्य मूर्तियाँ, मृदभांड, स्तंभ, मुहरें, मृण-मूर्तियाँ आदि के अतिरिक्त हजारों किस्म की प्रस्तर कला, भवन निर्माण कला, लोहा, ताँबा, सोना, चाँदी, विभिन्न पशुओं की अस्थियाँ, नवरत्न की माला, मातृदेवी, शिवयोगी के विभिन्न रूप, विष्णु, वरुण, ब्रह्मा, कृष्ण, राम, संदीपमुनि, आदिबुद्ध, तारा, बृहस्पति, पुरुरण, उर्वशी आदि की प्रतिमाएँ मिली हैं, जो हिमयुग की सभ्यता-संस्कृति से लेकर वैदिक युग, रामायण युग, महाभारत युग, सिद्धार्थ-बुद्ध तक के साक्ष्य प्रस्तुत करती हैं। विक्रमादित्य की राजधानी का ऐतिहासिक दस्तावेज ‘बत्तीसी आसन’ अभी भी यहाँ अवशेष के रूप में मौजूद है।
प्रस्तुत ग्रंथ ‘विक्रमशिला का पुरातात्त्विक इतिहास’ प्राचीन बिहार की सभ्यता-संस्कृति का इतिहास ही नहीं है, बल्कि विश्व इतिहास को भी एक नई दृष्टि देने में समर्थ है।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
Premium |
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