1000 Samjashastra Prashnottari by Mohananand Jha
एक पृथक् व स्वतंत्र विषय के रूप में समाजशास्त्र का प्रादुर्भाव पिछली शताब्दी में ही हुआ है। मनु, कौटिल्य, कन्फ्यूशियस, लाओत्से, प्लेटो, सुकरात तथा अरस्तु आदि प्रसिद्ध सामाजिक दार्शनिक हुए। सामाजिक घटनाओं के व्यवस्थित व क्रमबद्ध अध्ययन तथा विश्लेषण हेतु एक पृथक् एवं स्वतंत्र विज्ञान समाजशास्त्र का नामकरण फ्रांसीसी विद्वान् ऑगस्त कॉम्ट (1798-1857) ने किया। सन् 1876 में सर्वप्रथम येल विश्वविद्यालय, अमेरिका में समाजशास्त्र के अध्ययन-अध्यापन का कार्य प्रारंभ हुआ। भारत में 1914 में बंबई विश्वविद्यालय में इस विषय का अध्ययन कार्य प्रारंभ हुआ।
वर्तमान में अनेक विश्वविद्यालयों में समाजशास्त्र से संबंधित शोध हो रहे हैं। आज समाजशास्त्र एक स्वतंत्र एवं प्रतिष्ठित विषय के रूप में विद्यालय से विश्वविद्यालय तक के विविध पाठ्यक्रमों में शामिल है।
प्रस्तुत पुस्तक में प्रश्नोत्तरी शृंखला के अंतर्गत समाजशास्त्र के अति महत्त्वपूर्ण पक्षों को उद्भाषित व स्पष्ट करने का सार्थक प्रयास किया गया है। जिससे न केवल समाजशास्त्र के शिक्षार्थी एवं अन्य प्रतियोगी परीक्षार्थी, बल्कि इस विषय के जिज्ञासु पाठक भी लाभान्वित होंगे।
Publication Language |
Hindi |
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Publication Type |
eBooks |
Publication License Type |
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