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Yogya Aarogya

'- Do you wish to achieve total health at all levels? - Do you wish to discover how a perfectly healthy body works? - Do you wish to attain freedom from lack of ease which is called as disease? If your answer is “YES”, in that case the Yogya Aarogya magazine is a blessing. It is a highly useful health magazine which is unique due to its attractive presentation and simple language which can be understood by each and everyone. Being a trilingual magazine, every issue provides useful information to its Hindi, English and Marathi readers on various topics such as health, medical awareness about various conditions, and general well-being – not just physically, but mentally, socially and spiritually too. Even though, most of the sections and articles are in Hindi, you can still enjoy some of them in English and Marathi language too. Another point that makes Yogya Aarogya exceptional is that it helps you attain total health via spiritual understanding. Additionally, what makes this magazine easily applicable by readers is content such as properties and medicinal uses of various naturally occurring substances, benefits of different therapies, and sections like ‘दादीमाँ के smart tips' (Smart tips from Granny – which suggests simple and beneficial household remedies). Appreciated by thousands of readers, Yogya Aarogya is transcending its limits every year. We are delighted to serve this world and make it a happier and a healthier place to live in. We are also grateful to our readers for their constant support and feedback to make it even better every time.

You Can Heal Your Life by Louise L Hay

‘यू कैन हील योर लाइफ’—इस अद्भुत पुस्तक के माध्यम से लुइस एल. हे आत्मविकास की यात्रा को पाठकों के साथ बाँट रही हैं। उनका कहना है कि हमारा जीवन कितना भी निम्न स्तरीय क्यों न रहा हो, हम अपने जीवन को पूरी तरह बदलकर उसे और ज्यादा बेहतर बना सकते हैं। इस पुस्तक में सबकुछ है—जीवन, उसके मूल्य और अपने आप पर कैसे स्वाध्याय करें। अपने बारे में आपको जो भी जानने की आवश्यकता है, वह सब इसमें है। इसमें रोग के संभावित मानसिक कारणों की संदर्भ मार्गदर्शिका है, जो वास्तव में उल्लेखनीय और अनूठी है। किसी निर्जन द्वीप पर कोई व्यक्ति इस पुस्तक को पा जाए तो वह अपने जीवन को बेहतरीन बनाने के लिए जो भी जानना चाहता है, वह सब इससे सीख-समझ सकता है। प्रत्येक अध्याय एक निश्चय के साथ आरंभ होता है और सभी अध्याय एक उपचार के साथ समाप्त होते हैं। जब आप इससे संबंधित जीवन के भाग पर कार्य करेंगे तो प्रत्येक अध्याय उपयोगी सिद्ध होगा। यह चेतन को परिवर्तित करने के लिए तैयार सकारात्मक विचारों का प्रवाह है। यदि आप पुस्तक के क्रमानुसार दिए गए अभ्यास निष्ठापूर्वक करेंगे तो पुस्तक के समाप्त होने तक निश्चय ही अपने जीवन में परिवर्तन महसूस कर रहे होंगे। विश्व की सर्वाधिक बिक्रीवाली पुस्तकों में शामिल।

Young Leader

Established in the year 1966, Young Leader Newspaper in Khanpur, Ahmedabad is a top player in the category Magazine Publishers in the Ahmedabad. This well-known establishment acts as a one-stop destination servicing customers both local and from other parts of Ahmedabad. Over the course of its journey, this business has established a firm foothold in it’s industry. The belief that customer satisfaction is as important as their products and services, have helped this establishment garner a vast base of customers, which continues to grow by the day. This business employs individuals that are dedicated towards their respective roles and put in a lot of effort to achieve the common vision and larger goals of the company. In the near future, this business aims to expand its line of products and services and cater to a larger client base. In Ahmedabad, this establishment occupies a prominent location in Khanpur.

Youtube Se Kamayen Croreon by Mahesh Dutt Sharma

आज इंटरनेट पर ऑनलाइन कमाई के अनेक साधन मौजूद हैं और दुनिया भर के लाखों लोग घर बैठे इन साधनों से लाखों-करोड़ों की कमाई के साथ-साथ नाम भी कमा रहे हैं। सोशल मीडिया साइट यू-ट्यूब पर आप अकसर रोचक वीडियो देखते होंगे। क्या आपको पता है कि जैसे ही आप एक पूरा वीडियो देख लेते हैं तो वीडियो बनानेवाले के खाते में कुछ रुपए जाने की संभावना बढ़ जाती है। आप भी यू-ट्यूब पर वीडियो बनाकर लाखों रुपए कमा सकते हैं, बशर्ते आप अपनी ऑडियंस को सही तरीके से समझ पाएँ। सोशल मीडिया साइट पर युवाओं का बढ़ता रुझान यू-ट्यूब पर वीडियो बनाकर अपलोड करनेवालों के लिए एक फायदे का सौदा बनता जा रहा है। इसमें रचनात्मकता, रोमांच, नाम और दाम सबकुछ है। पता नहीं, आपका कौन सा वीडियो लोगों को भा जाए और लाखों-करोड़ों में वायरल होकर वह आपको रातोंरात स्टार बना दे। यह पुस्तक आपको यू-ट्यूब चैनल बनाकर धन कमाने के व्यावहारिक सूत्र बताने के साथ-साथ अन्य ऑनलाइन स्रोतों को भी आय का साधन बनाने के गुरुमंत्र बताती है।

Yug Geet Usi Ke Gayega by Jai Shankar Mishra

प्रस्तुत कविता-संग्रह ‘युग गीत उसी के गाएगा’ श्री जय शंकर मिश्र की काव्य-यात्रा का सप्तम सोपान है। इसमें कुल 101 कविताएँ एवं गीत सम्मिलित किए गए हैं। श्री मिश्र का संपूर्ण रचना संसार उनकी निजी अनुभूतियों का ही प्राकट्य है। सूक्ष्म संवेदनाओं की सलिल सरिता उनके अंतस में निरंतर प्रवहमान रही है। इसीलिए इनकी रचनाओं में जहाँ प्रकृति अपनी संपूर्ण विविधता एवं समग्रता के साथ प्रतिबिंबित होती हुई दृष्टिगोचर होती है, वहीं दूसरी ओर जीवन-जगत्, प्रीति-प्रणय, समाज-संबंध एवं जीवन के लौकिक-अलौकिक पक्षों की भी विविधवर्णी आभा विद्यमान है। श्री मिश्र की कविताओं में भाषा की सहजता, सरलता एवं सुगमता के साथ ही अंतर्निहित पारिवारिक एवं सामाजिक समरसता की महत्ता, युग-मंगल की कामना, जीवन के उद्देश्यों के प्रति सतत चिंतन तथा परिवेश की विविध जटिलताओं के बावजूद जीवन को सौंदर्यमय एवं शिवमय बनाने की बलवती भावना रचनाकार को एक विशिष्ट पहचान देती है। सकारात्मकता और आशावाद से परिपूर्ण ये काव्य रचनाएँ पाठकों को मानवीय मूल्यों और संबंधों का बोध कराएँगी और कुछ ऐसा कर गुजरने के लिए प्रेरित करेंगी कि ‘युग गीत उसी के गाएगा’।

Yug Kranti Ki Prabhat Vela by Rajesh

व्यवस्थापरिवर्तन या समाजपरिवर्तन की प्रत्येक चेष्टा, ईश्वरेच्छा की उपेक्षा कर असफल और दिशाहीन हो जाने के लिए अभिशप्त है। यह कृति समाजपरिवर्तन की दिशा में सक्रिय विचारों का, उनके विकसित होते गए परिप्रेक्ष्य में संयोजन मात्र है। इन विचारों का स्रोत महापुरुषों की वे शिक्षाएँ हैं, जिनमें एक नए मनुष्य के सृजन को संभव बनानेवाले कारकतत्त्वों का उद्घाटन हुआ है। समग्र परिवर्तन का आह्वान करती ये शिक्षाएँ मनुष्य और समाज के आमूल रूपांतरण की दिशा का बोध कराने वाली हैं। इन सबके केंद्र में वर्तमान जीवन है। युद्ध, विखंडन, स्पर्धा, हिंसा, स्वार्थ और लोलुपता से भरी दुनिया को अस्वीकार करने का अर्थ है—मानस एवं हृदय के आमूलचूल परिवर्तन की दिशा में नए सिरे से विचार करना। इस प्रकार के विचारों को सुव्यवस्थित रूप में सामने लाने का यह विनम्र प्रयास है। इस क्रम में रामकृष्ण परमहंस, महात्मा गांधी, रवींद्रनाथ ठाकुर, श्रीअरविंद, रमण महर्षि, आचार्य विनोबा भावे, जे. कृष्णमूर्ति, रामनंदनजी प्रभृति महापुरुषों की शिक्षाओं को यहाँ विशेष रूप में स्थान मिला है। नवजागरण का मार्ग प्रशस्त करनेवाली सभी आयुवर्ग के पाठकों के लिए समान रूप से पठनीय पुस्तक।

Yug Nirmata Jrd Tata by Bakhtiar K Dadabhoi

कुशल पायलट, नवप्रवर्तक उद्यमी, संस्थान निर्माता, परमार्थी व महान् जन-प्रबंधक जे. आर.डी टाटा उन राष्‍ट्र- निर्माताओं में थे, जो आबाल-वृद्ध सभी के प्रेरणा-स्रोत रहे हैं । एक उद्योगपति के रूप में उनको टाटा उद्योग समूह को अंतरराष्‍ट्रीय पटल पर लाने का श्रेय प्राप्‍त है । श्री टाटा विज्ञान व कलाओं के संरक्षक रहे । साहित्य, ललित-कलाओं, तेज रफ्तार कारों, स्कीइंग एवं उड़ान में उनकी गहरी रुचि थी । उन्होंने टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज, टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च, नेशनल सेंटर फॉर द परफार्मिग आर्ट्स एवं अन्य अनेक संस्थानों के निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई । जे. आर.डी टाटा को जन-प्रेरक के रूप में सदा याद किया जाएगा । सही व्यक्‍त‌ि को सही काम के लिए चुनने की उनमें विलक्षण क्षमता थी । किसी टीम को सुगठित करने, विभिन्न कर्मियों से सबसे अच्छे परिणाम हासिल करना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी । वह जिजीविषा से परिपूर्ण थे और नवाचार व उद्यम की प्रेरणा देने में अत्यंतमुखर । अपने सभी कर्मियों को अगाध स्नेह करनेवाले, दूरदर्शी, युग -निर्माता जे. आर.डी टाटा के जीवन से प्रेरणा और शिक्षा देनेवाली उपयोगी पुस्तक ।

Yugantarikari by Shubhangi Bhadbhade

युगांतरकारी ‘गुरुजी, आप इतना भ्रमण करते हैं। हर रोज नए गाँव, नए प्रदेश, नई भाषाएँ, नई राहें। आपको सबकुछ नया या अपरिचित जैसा नहीं लगता?’ ‘कभी नहीं; एक बार हिंदुस्थान को अपना समझ लिया तो सभी देशवासी अपने परिवार जैसे लगते हैं। आप भी एक बार मेरे साथ चलें—लेकिन आत्मीयता के साथ—तो देखेंगे कि आपको भी सारा देश अपने घर, अपने परिवार जैसा प्रतीत होगा।’ ‘गुरुजी, आप इतनी संघ शाखाओं में जाते हैं, प्रवास करते हैं। क्या आपको लगता है कि पचास वर्षों के पश्‍चात‍् संघ का कुछ भविष्य होगा?’ ‘अगले पचास वर्ष ही क्यों, पचास हजार वर्षों के पश्‍चात‍् भी संघ की आवश्यकता देश को रहेगी, क्योंकि संघ का कार्य व्यक्‍ति-निर्माण है। जिस वृक्ष की जड़ें अपनी मिट्टी से जुड़ जाती हैं, भूगर्भ तक जाती हैं, वह कभी नष्‍ट नहीं होता। दूर्वा कभी मरती नहीं, अवसर पाते ही लहलहाने लगती है। ‘संस्कृति व जीवन-मूल्यों पर आधारित, संस्कारों से निर्मित, साधना से अभिमंत्रित संघ अमर है और रहेगा। उसके द्वारा किया जा रहा राष्‍ट्र-कार्य दीर्घकाल तक चलनेवाला कार्य है।’ —इसी पुस्तक से रा.स्व. संघ के द्वितीय सरसंघचालक श्री माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ‘गुरुजी’ का जीवन त्यागमय व तपस्यामय था। वे प्रखर मेधा-शक्‍तिवाले, अध्यात्म-ज्ञानी एवं प्रभावशाली वक्‍ता थे। आधुनिक काल के वे एक असाधारण महापुरुष थे। प्रस्तुत है—आदर्शों, महानताओं एवं प्रेरणाओं से युक्‍त जीवन पर आधारित एक कालजयी उपन्यास।

Yugdrashta Sayajirao by Baba Bhand

महाराष्ट्र के एक साधारण देहात के किसान के अनपढ़ बेटे का सहसा बड़ौदा-नरेश बनकर स्वतंत्रता-पूर्व हिंदुस्तान की रियासतों के महाराजाओं का सरताज बन जाना और राजनीति, प्रशासन, समाजनीति तथा संस्कृति के क्षेत्रों में आधुनिकता के पदचिह्न छोड़ जाना किसी अद्भुत आयान से कम नहीं है। राजतंत्र को प्रजातंत्र में ढालने के लिए जनता को मताधिकार, ग्राम पंचायत की स्थापना, विधि का समाजीकरण, अनिवार्य प्राथमिक शिक्षा, वाचनालय, ग्रंथमाला चलाना, पत्रकारिता, व्यायामशाला जैसी कई योजनाएँ चलाईं। अस्पृश्यता, बँधुआ मजदूरी, बाल-विवाह आदि के विरोध में समाज-सुधारकों का साथ दिया। राज्य में समृद्धि लाने के लिए भूमिसुधार, जलनीति, स्वास्थ्य, व्यवसाय-कौशल, आदिवासियों की सहायता आदि के द्वारा पारदर्शी प्रशासन का आदर्श उपस्थित किया। साहित्य, संगीत, चित्र, नृत्य आदि कलाओं को प्रोत्साहित किया। कई बार यूरोप जाकर आधुनिकता के रूपों की पहचान की और उसे अपनी रियासत में आजमाया। बड़ी बात यह कि अंग्रेजी साम्राज्यवाद के विरोध में आजादी के क्रांतिकारियों की हर तरह से सहायता की। दस्तावेजों के विपुल भंडार को खँगालकर बाबा भांड ने सयाजीराव महाराज गायकवाड़ के इस औपन्यासिक चरित्र को साकार करते हुए उनके पारिवारिक और आंतरिक भावजीवन का जो संवेदनशील जायजा लिया है, उससे ‘सयाजीराव गायकवाड़ महाराज’ का यह आयान जीवंत हो उठा है। —निशिकांत ठकार

Yugdrashta Vivekanand by Rajeev Ranjan

स्वामी विवेकानंद का भारत में अवतरण उस समय हुआ, जब हिंदू धर्म के अस्तित्व पर संकट के बादल मँडरा रहे थे। पंडा-पुरोहित तथा धर्म के ठेकेदारों के कारण हिंदू धर्म घोर आडंबरवादी तथा पथभ्रष्ट हो गया था। ऐसे विकट समय में स्वामीजी ने हिंदू धर्म का उद्धार कर उसे उसकी खोई प्रतिष्ठा पुन: दिलाई। मात्र तीस वर्ष की आयु में स्वामी विवेकानंद ने शिकागो के विश्वधर्म सम्मेलन में हिंदू धर्म का परचय लहराया और भारत को विश्व के आध्यात्मिक गुरु का स्थान दिलाया। स्वामीजी केवल संत ही नहीं थे, बल्कि एक प्रखर देशभक्त, ओजस्वी वक्ता, गंभीर विचारक, मनीषी लेखक और परम मानव-प्रेमी भी थे। मात्र उनतालीस वर्ष के अपने छोटे से जीवनकाल में उन्होंने जो काम कर दिखाए, वे आनेवाली पीढ़ियों का शताब्दियों तक मार्गदर्शन करते रहेंगे। कवींद्र रवींद्र ने एक बार कहा था—“यदि भारत को जानना चाहते हो तो विवेकानंद को पढ़िए।” हिंदू समाज में फैली कुरीतियों का घोर विरोध करते हुए स्वामीजी ने आह्वान किया था—“उठो, जागो और स्वयं जागकर औरों को जगाओ। अपने नर-जन्म को सफल करो और तब तक रुको नहीं जब तक कि लक्ष्य प्राप्त न हो जाए।” हमें विश्वास है, ऐस किसी विलक्षण तपस्वी के गुणों को आत्मसात् कर अपना तथा राष्ट्र का कल्याण किया जा सकता है—इसी विश्वास को बल देती है एक अत्यंत प्रेरणादायी पुस्तक—‘युगद्रष्टा स्वामी विवेकानंद’।

Yugpurush Dr. Rajendra Prasad by Tara Sinha

डॉ.राजेंद्र प्रसाद की यह संक्षिप्त जीवनी बिहार के एक छोटे से गाँव के मध्यमवर्ग परिवार से आए एक ऐसे व्यक्ति के संघर्षों एवं उपलब्धियों की मोहक कहानी प्रस्तुत करती है, जिसकी असाधारण मेधा, तीक्ष्ण बुद्धि, विलक्षण प्रतिभा, कड़े परिश्रम और निःस्वार्थ सेवा-कार्यों ने उसे देश के शीर्ष नेताओं की पंक्ति में ला खड़ा किया। देशरत्न राजेंद्र बाबू की पारिवारिक पृष्ठभूमि, गाँव में बीता बाल्यकाल, उपलब्धियों से भरा विलक्षण विद्यार्थी जीवन, अल्पकाल तक चला वकालत पेशा, चंपारन सत्याग्रह के दौरान गांधीजी के नेतृत्व में महत्त्वपूर्ण सेवा कार्य, तदनंतर वकालत त्याग देश के लिए अपना सर्वस्व न्योछावर करने का निर्णय, स्वतंत्रता सेनानी के कंटकाकीर्ण मार्ग का अनुसरण, कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में अपूर्व संगठन शक्ति का परिचय, फिर अंतरिम सरकार में खाद्य मंत्री के दायित्व का कुशल निर्वहन, संविधान-सभा अध्यक्ष की हैसियत से संविधान निर्माण में अहम भूमिका, भारतीय गणराज्य के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में बारह वर्षों तक देश का योग्य मार्गदर्शन और अवकाश प्राप्ति उपरांत पूर्व कर्मभूमि पटना सदाकत आश्रम में बिताए गए अर्थपूर्ण अंतिम नौ महीने—तथ्यों, तारीखों सहित राजेंद्र बाबू के घटनापूर्ण जीवन का संपूर्ण समग्र ब्योरा संक्षेप में प्रस्तुत कर देना इस पुस्तक की विशेषता है। देश के नवजागरण और नवनिर्माण में अहम भूमिका निभानेवाले भारत के एक सच्चे सपूत की पठनीय प्रामाणिक जीवन-गाथा।

Yugpurush Jaiprakash Narayan by Uma Shanker Verma

युगपुरुष जयप्रकाश नारायण—सं. उमाशंकर वर्मा जयप्रकाश नायक स्वदेश की करुणा भरी कहानी का, वह प्रतीक है स्वतंत्रता-हित व्याकुल बनी जवानी का; पाठ पढ़ाया है उसने हमको निर्भय हो जीने का, दीन-दुखी संतप्‍त मनुजता के घावों को सीने का; --- हे जननायक! तुम धन्य हो! तुमने जो कुछ भी किया है, जो कुछ भी दिया है, उसे किसी कीमत पर हम खोने नहीं देंगे। अपने खून का एक-एक कतरा देकर भी हम उसकी रक्षा करेंगे। --- हे क्रांतिदूत, हे वज्र पुरुष, हे स्वतंत्रता के सेनानी; जय-जय जनता, जय-जय स्वदेश, यह अडिग तुम्हारी ही बानी! दे स्वतंत्रता को परिभाषा मन वचन कर्म की, जीवन की; तुमने जन-जन को सिखलाया आहुति होती क्या तन-मन की! --- जयप्रकाश का बिगुल बजा, तो जाग उठी तरुणाई है, तिलक लगाने, तुम्हें जगाने क्रांति द्वार पर आई है। कौन चलेगा आज देश में भ्रष्‍टाचार मिटाने को बर्बरता से लोहा लेने, सत्ता से टकराने को आज देख लें कौन रचाता मौत के संग सगाई है। —इसी पुस्तक से जनक्रांति झुग्गियों से न हो जब तलक शुरू, इस मुल्क पर उधार है इक बूढ़ा आदमी। लोकनायक जयप्रकाश नारायण के क्रांतिकारी व्यक्‍तित्व की झलक देतीं सूर्यभानु गुप्‍त की उपरोक्‍त पंक्‍तियाँ बतलाती हैं कि आम जन में परिवर्तन के सपने को जयप्रकाश नारायण ने कैसे रूपाकार दिया था। युगपुरुष जयप्रकाश में प्रसिद्ध कवि, संपादक उमाशंकर वर्मा ने हिंदी के ऐसे सैकड़ों कवियों की कविताएँ संकलित की हैं, जिन्होंने जयप्रकाश के क्रांतिकारी उद‍्घो‍ष को सुना और उससे उद्वेलित हुए। भगीरथ, दधीचि, भीष्म, सुकरात, चंद्रगुप्‍त, गांधी, लेनिन और न जाने कैसे-कैसे संबोधन जे.पी. को दिए कवियों ने। उन्हें याद करते हुए आचार्य हजारीप्रसाद द्विवेदी ने सही कहा कि ‘इस देश की संस्कृति का जो कुछ भी उत्तम और वरेण्य है, वह उनके व्यक्‍तित्व में प्रतिफलित हुआ है।’ आरसी प्रसाद सिंह, इंदु जैन, उमाकांत मालवीय, कलक्टर सिंह केसरी, जगदीश गुप्‍त, जानकी वल्लभ शास्‍‍त्री, धर्मवीर भारती, पोद‍्दार रामावतार अरुण, बालकवि बैरागी, बुद्धिनाथ मिश्र, रामधारी सिंह दिनकर, कुमार विमल, नीरज आदि प्रसिद्ध कवियों-गीतकारों सहित सैकड़ों रचनाकारों की लोकनायक के प्रति काव्यांजलि को आप यहाँ पढ़ सकते हैं। —कुमार मुकुल

Yugwarta (युगवार्ता)

Yugwarta is a weekly political magazine. In every issue, a great article is published in the title “Mudda” (Issue), which is penned by the Chairman of Hindusthan Samachar group, Mr. R.K. Sinha. There is an analytical article on current issues in the “Nazariya” (viewpoint) title in every issue. There are articles on burning issues & matters, stories on problems of various states and feature stories. A collection of news is published which consists of titles like “Satta ke Galiyare Se” (from the corridor of power), “Charcha mein” (in discussions) and “halchal” (stir), which gives an impression of a bulletin. Articles are published on career through the title “Vidyarthi Kona” (student corner), which tells about vocational courses & job opportunities. Sports news, book reviews and cinema make Yugwarta special. युगवार्ता एक साप्ताहिक राजनीतिक पत्रिका है। पत्रिका में मुद्दा शीर्षक से हर बार शानदार लेख छपता है, जिसे खुद हिन्दुस्थान समाचार के अध्यक्ष महोदय आर के सिन्हा लिखते हैं। पत्रिका के नजरिया शीर्षक में वर्तमान मुद्दों पर एक विश्लेषणात्मक लेख पढ़ने को मिलता है। ज्वलंत मुद्दों पर लेख, सुलगते मामलों पर लेख के साथ-साथ राज्यों की समस्याओं पर स्टोरी, फीचर स्टोरी,सत्ता के गलियारे से, चर्चा में, हलचल जैसे शीर्षकों के नाम से समाचारों का संग्रह प्रकाशित किया जाता है, जो बुलेटिन का एहसास कराते हैं। विद्यार्थी कोना शीर्षक के माध्यम से करियर पर लेख प्रकाशित होते हैं, जो ये बताते हैं कि जॉब के लिए स्टूडेंट कौन सा कोर्स करें। खेल जगत के समाचार, पुस्तक समीक्षा और सिनेमा युगवार्ता को खास बनाते हैं।

Yuva Bharat Ki Nayi Pahachaan by N. Raghuraman

अकसर सुनने को मिलता है—‘युवा भारत की नई पहचान’। अगर आप किसी ऐसे युवा के साथ अपने को शामिल नहीं करते, जो आपके परिवार का न हो या आपके मित्र का पुत्र न हो, पूरी तरह से अपरिचित हो, तो यह पंक्ति हमेशा एक तटस्थ लगाव पैदा करती है। भारत विश्व का सबसे ज्यादा युवा शक्तिवाला देश है। वर्ष 2020 में विश्व के सर्वाधिक युवा भारत के निवासी होंगे। प्रस्तुत पुस्तक में बहुत से उदाहरणों के द्वारा बताया गया है कि वास्तव में युवा ही इस देश का भविष्य हैं। बस, उन्हें आपसे और हमसे थोड़ा सहयोग चाहिए होता है। इसके बाद वे बड़े-बड़े चमत्कार कर सकते हैं। यह पुस्तक जीवन के ऐसे ही विभिन्न पहलुओं से ली गई कहानियों का संग्रह है। युवा शक्ति को दायित्व-बोध करवाकर उनकी क्षमताओं और प्रतिभा को विकसित करनेवाली एक प्रेरक पुस्तक।

Yuva Shakti

युवा शक्ति हिंदी का तेजी बढ़ता अखबार है. पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड, उत्तर प्रदेश में इसका प्रसार है. पत्रकारिता के समुचित मानदंडों के साथ अखबार निरंतर अपने पथ पर अग्रसर है. वेब पर दैनिक ई-पेपर पाठकों के लिए उपलब्ध है.

Yuvavstha Mein Hi Retirement Planning by  kshitij Patukale

‘कल करे सो आज कर, आज करे सो अब!’ यह उक्‍ति दूसरी अन्य चीजों की अपेक्षा जीवन के लिए आर्थिक नियोजन के संबंध में सबसे अधिक महत्त्वपूर्ण है। मूलतः नियोजन शब्द का अर्थ है—कल के उज्ज्वल भविष्य के लिए किए जानेवाले आज के यत्‍न! स्वाभाविक है—सेवानिवृत्ति के बाद जरूरी खर्चों का प्रावधान उन्हीं दिनों में करना चाहिए, जब हम कमाते हैं। ऐसे विचार यह कृति ‘युवावस्था में ही रिटायरमेंट प्लानिंग’ पढ़ते समय सरल, आसान और तर्कसंगत लगते हैं—वैसे हैं भी! समस्या केवल यही है कि हम लोग यह विचार प्रत्यक्ष व्यवहार में नहीं लाते! यौवनकाल में जीवन का आनंद लूटना, कमाई के आरंभिक दिनों में उत्सव मनाना, इसमें गलत क्या है? लेकिन जीवन की शुरुआत में हमें स्वयं को शारीरिक, बौद्धिक और मानसिक रूप से कार्यक्षम बनाने में 15-20 वर्ष खर्च करने पड़ते हैं। बीस वर्ष प्राप्‍त होते ही कमाई आरंभ कर, निवृत्त होने के समय तक अपनी आय में लगातार वृद्धि करना, वृद्धि में सातत्य रखने के लिए कला-कौशल्य में खुद को अद्यतन रखना जरूरी होता है, यह बात हम भूल जाते हैं। रिटायरमेंट के बाद के जीवन की आर्थिक प्लानिंग बताती एक अत्यंत प्रैक्टिकल पुस्तक।

Yuvi Cricket Ka Yuvraj by Makrand Vegankar

पिछले एक दशक से युवराज सिंह के लिए क्रिकेट खेल-प्रेमियों का जो प्यार व दीवानगी देखने को मिली है, उसकी तुलना अन्य किसी खिलाड़ी के प्रशंसकों से नहीं की जा सकती। बात चाहे उनकी जोशीली बल्लेबाजी, बल्लेबाज को भ्रमित करनेवाली गेंदबाजी की हो या शानदार फील्डिंग की। युवराज सिंह सदा ही बल्ले और गेंद के साथ अपने कौशल, मैदान के बाहर अपनी ग्लैमरस जीवन-शैली और सबसे अधिक हाल ही में प्राणघातक बीमारी से अपनी साहस से भरपूर लड़ाई के कारण चर्चा का विषय बने रहे। यहाँ पर उनके जीवन की सभी महत्त्वपूर्ण घटनाओं को कागज पर उतारने के पहले व अनूठे प्रयास का जिम्मा जाने-माने खेल पत्रकार व क्रिकेट प्रशासक मकरंद वैंगनकर ने सँभाला है। वैंगनकर युवराज सिंह को उनके जन्म के दिन से जानते हैं। इस पुस्तक में उन्होंने युवराज के एक अबोध बालक से लेकर युवा खिलाड़ी बनने तक की सभी महत्त्वपूर्ण घटनाओं को याद करने के साथ उनके प्रारंभिक खेल जीवन के उतार-चढ़ाव का भी उल्लेख किया है। इस पुस्तक को तैयार करने में युवराज सिंह के अभिभावकों के अतिरिक्त उनके मित्रों, सहकर्मियों व वरिष्ठ खिलाडि़यों का भी भरपूर योगदान है। इस पुस्तक को वैंगनकर ने अपनी गहन अंतर्दृष्‍ट‌ि तथा इस विषय के साथ गहरे लगाव को आधार बनाते हुए लिखा है। एक युवा खिलाड़ी के जीवन को गहराई से जानने और शुरुआती दौर से लेकर उसके विश्‍व कप 2011 के विजेता बनने की सभी रोचक बातों को जानने के संदर्भ में यह पुस्तक किसी अनमोल खजाने से कम नहीं है। हमें पूर्ण विश्‍वास है कि पाठकों के बीच यह पुस्तक अपना विशेष स्थान बनाने में अवश्य ही सफल होगी।

Yuwa Varg Aur Pariksha Dabaw

Manushy ka sampoorn jeevan ek pareeksha hai. manushy janm se lekar mrtyuparyant pareeksha deta rahata hai. manushy jab janm leta hai, tabhee se usakee pareeksha aarambh ho jaatee hai. vah yuva hone par apana lakshy svayan nirdhaarit karata hai. tadnusaar vidyaalay se shiksha grahan karata hai. aatmavishvaas ke saath aage badhata hai. pratiyogee pareekshaon mein apana bhaagy aajamaata hai. din-raat jeetod pareeksha kee taiyaaree karane ke baad bhee, jab niraasha hee haath lagatee hai, to vah bhayabheet ho jaata hai. prastut pustak mein yuva varg kee vibhinn pareekshaon ke sandarbh mein kul 21 adhyaay sammilit hain. antim 3 adhyaayon mein pareeksha ka saar nihit hai. yuva pareekshaarthee ka bhayabheet hona theek nahin hai. aashaavaan hona sadaiv sukhadaayee hota hai. yuva varg apanee vartamaan jeevanashailee badalen. paryaapt vyaayaam, paushtik shaakaahaaree bhojan, paryaapt aaraam aur yojanaabaddh tareeke se pareeksha kee taiyaaree karen, pratibaddhata ka dhyaan rakhen. pareeksha kee vyooharachana banaaye. pareekshaakaal mein anukool paathy saamagree evan nots ka hee adhyayan karen. adhyayan shailee spasht ho. pareeksha se ek din pahale keval aavashyak nots hee duharaayen. sadaiv sakaaraatmak soch banaaye rakhen. apane ko sarvaadhik suyogy samajhane kee bhool na karen. apane saathiyon, sahayogiyon, seeniyars se pareeksha sambandhee salaah lene mein sankoch na karen. apana lakshy sammukh rakhen aur svayan par bharosa ho, to pareeksha mein saphalata milana nishchit hai.

Zanjeeren Aur Deewaren by Shriramvriksha Benipuri

जंजीरें फौलाद की होती हैं, दीवारें प्तत्थर की । किंतु पटना जेल में जो दीवारें देखी थीं, उनकी दीवारें भले ही पत्थर- सी लगी हों, थीं ईंट की ही । पत्थर की दीवारें तो सामने हैं - चट्टानों के ढोंकों से बनी ये दीवारें । ऊपर- नीचे, अगल-बगल, जहाँ देखिए पत्थर- ही-पत्थर । पत्थर-काले पत्थर, कठोर पत्थर, भयानक पत्थर, बदसूरत पत्थर । किंतु अच्छा हुआ कि भोर की सुनहली धूप में हजारीबाग सेंट्रल जेल की इन दीवारों का दर्शन किया । इन काली, कठोर, अलंघ्य, गुमसुम दीवारों की विभीषिका को सूर्य की रंगीन किरणों ने कुछ कम कर दिया था । संतरियों की किरचें भी सुनहली हो रही थीं । हाँ अच्छा हुआ, क्योंकि बाद के पंद्रह वर्षों में न जाने कितनी बार इन दीवारों के नीचे खड़ा होना पड़ेगा । किसीने कहा है, सब औरतें एक- सी । यह सच हो या झूठ, किंतु मैं कह चुका हूँ सब जेल एक-से होते हैं । सबकी दीवारें एक-सी होती हैं, सबके फाटक एक-से दुहरे होते हैं, सबमें एक ही ढंग के बड़े-चौड़े ताले लटकते होते हैं, सबको चाबियों के गुच्छे भी एक-से झनझनाते हैं और सबके वार्डर, जमादार, जेलर, सुपरिंटेंडेंट जैसे एक ही साँचे के ढले होते हैं-मनहूस, मुहर्रमी; जैसे सबने हँसने से कसम खा ली हो । किंतु हजारीबाग का जेल अपनी कुछ विशेषता भी रखता है । सब जेल बनाए जाते हैं अपराधियों को ध्यान में रखकर, हजारीबाग सेंट्रल जेल की रचना ही हुई थी देशभक्‍तों पर नजर रखकर । -इसी पुस्तक से

Zimedari Ki Shakti by Suresh Mohan Semwal

यदि हम सभी अपनी सोचने की दिशा तथा अपनी आदतों में परिवर्तन करें तो हमारी जिंदगी की दशा और दिशा, दोनों में परिवर्तन हो सकता है। किसी ने सच ही कहा है, ‘ईश्वर चुनता है कि हम किन परिस्थितियों से गुजरेंगे, परंतु हम चुनते हैं कि हम इन परिस्थितियों से कैसे गुजरेंगे।’ जिस तरह एक अँधेरे कमरे में अँधेरा भगाने के लिए प्रकाश लाना आवश्यक है, उसी प्रकार जिंदगी से उदासी, दु:ख, जलन, क्रोध, तनाव आदि को दूर करने के लिए हमें अपना मानसिक स्विच ऑन करना होगा, जिससे हम अपनी सोच एवं आदतों में परिवर्तन करके अपने जीवन को सुखमय बना सकें; और हम व हमारा परिवार ईश्वर की बनाई इस खूबसूरत सृष्टि का भरपूर आनंद ले सकें। अब सवाल यह है कि सोच में परिवर्तन कैसे लाया जाए? उसका एक तरीका, जो समझ में आता है, वह है—अपनी वर्तमान गतिविधियों, आदतों एवं सोच के प्रति जागरूकता पैदा करना; और इसी जागरूकता को पैदा करने की पहल इस पुस्तक में की गई है। इसे पढ़ें और आनंद के साथ वह सब हासिल करें, जो आप करना चाहते हैं।

Zimmedari Responsibility by P.K. Arya

अगर आपको ज्यादा-से-ज्यादा काम सौंपा जाता है तो यकीन मानिए, आप एक जिम्मेदार व्यक्‍ति हैं, क्योंकि जिम्मेदारी उसी को मिलती है, जो उन्हें निभा सकता है। जिम्मेदारियों को अगर आप बोझ की तरह लेंगे तो ये आपको तोड़कर रख देंगी। इनसे मुँह मोड़ना आपको असफलताओं के गर्त में धकेल देगा। जिम्मेदारियाँ मनुष्य के जन्म लेते ही उसके साथ जुड़ जाती हैं। परिवार, समाज और देश जिम्मेदारियों के सही निर्वहण से ही चल सकता है। एक की जिम्मेदारी दूसरे की ताकत और सफलता बनती है। दूसरे की जिम्मेदारी तीसरे की सफलता और ताकत बनती है। इस तरह यह श्रंखलाबद्ध ढंग से सफलता की सीढ़ियों का निर्माण करती है, जिन पर चढ़कर व्यक्‍ति, समाज और देश तरक्की करते हैं। अतः एक की जिम्मेदारी दूसरे से जुड़ी है और सबकी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहण ही व्यक्‍तिगत और सामूहिक सफलता की गारंटी है। जिम्मेदार व्यक्‍ति ही महान् बनते हैं और जिम्मेदारियाँ ही व्यक्‍ति को महान् बनाती हैं। आप भी निश्‍च‌ित ही महान् बनना चाहेंगे—प्रस्तुत पुस्तक आपका इसी दिशा में मार्गदर्शन करेगी।

Zindagi by Sanjay Sinha

जिस पहली महिला ने मुझे अपनी ओर आकर्षित किया था, वो मेरी माँ ही थी। मैं माँ को कभी खुद से दूर नहीं होने देना चाहता था, इसलिए मैंने चारपाँच साल की उम्र में माँ से कहा था कि मैं तुमसे शादी करना चाहता हूँ। माँ हँस पड़ी थी, कहने लगी कि मैं तुम्हारे लिए परीलोक की राजकुमारी लाऊँगी। मैं कह रहा था कि माँ, तुमसे सुंदर कोई और हो ही नहीं सकती। मृत्यु से एक रात पहले माँ ने मुझे बताया था कि वो कल चली जाएगी। मैंने माँ से पूछा था, तुम चली जाओगी, फिर मैं अकेला कैसे रहूँगा। माँ ने कहा था, मैं तुम्हारे आसपास रहूँगी। हर पल। कहते हैं रामकृष्ण परमहंस को पत्नी में माँ दिखने लगी थी। एक औरत में माँ का दिखना ही चेतना का सबसे बड़ा सागर होता है। संसार की हर औरत को इस बात के लिए गौरवान्वित होने का हक है कि वो माँ बन सकती है। उसके पास अपने भीतर से एक मनुष्य को जन्म देने का माद्दा है। उसे बहुधा इस काम के लिए किसी पुरुष की भी दरकार नहीं। शादी के बाद जो भी मेरी पत्नी से मिला, सबने कहा ये तुम्हारी माँ का पुनर्जन्म है। विरोधाभासों और कल्पनाओं के अथाह समंदर का नाम जिंदगी है।

Zindagi Ka Bonus by Sachchidanand Joshi

‘जिंदगी का बोनस’ जीवन के कुछ ऐसे अनोखे पलों का दस्तावेज है जो अनायास आपकी झोली में आ गिरते हैं, लेकिन फिर आपकी स्थायी निधि बन जाते हैं। ये पल आपको हँसाते भी हैं, गुदगुदाते भी हैं और वक्त पड़ने पर आपको चिकोटी भी काटते हैं। कभी आँखें नम कर जाते, तो कभी आह्लाद की अनुभूति कराते हैं। ‘कुछ अल्प विराम’ और ‘पलभर की पहचान’ के बाद रम्य रचनाओं की ये तीसरी प्रस्तुति है जो अपनी तरह का एक अनूठा प्रयोग है। जीवन का कौन सा पल कब आपके लिए क्या संदेश लाएगा, कहा नहीं जा सकता। इन पलों को सँजोकर रखना इसलिए जरूरी है। ‘जिंदगी का बोनस’ एक धरोहर बनकर जीवन के आनंद को तो बढ़ाएगा ही, साथ ही मानवीय संबंधों की अमूल्य निधि भी साथ दे जाएगा।

Zindagi Ke 78 Kohinoor by Mrityunjay Kumar Singh

जीवन में होने वाली घटनाएँ हमेशा हमें कुछ-न-कुछ सिखाकर हमारा ज्ञान, अच्छाई और तजुर्बा बढ़ाती हैं। जीवन में कभी-कभी अच्छाई के लिए मनुष्य को कुछ-न-कुछ त्याग करना पड़ता है। जीवन में अच्छाई की यह शिक्षा इनसान को प्रकृति से मिली है। प्रकृति के प्रत्येक कार्य में सदैव भलाई की भावना निहित दिखाई पड़ती है। नदियाँ अपना जल स्वयं न पीकर दूसरों की प्यास बुझाती हैं। वृक्ष अपने फल दूसरों को अर्पित करते हैं। बादल पानी बरसाकर धरती की प्यास बुझाते हैं। सूर्य तथा चंद्र भी अपने प्रकाश को दूसरों में बाँट देते हैं। इसी प्रकार अच्छे इनसान का जीवन भलाई में ही लगा रहता है। जीवन में हर इनसान छोटे-छोटे कार्य करके अनेक प्रकार की अच्छाई संसार में कर सकता है। भूखे को रोटी खिलाकर, अशिक्षितों को शिक्षा देकर, जरूरतमंद को दान देकर, प्यासे को पानी पिलाकर व अबलाओं तथा कमजोरों की रक्षा कर अच्छाई की जा सकती है। —इसी पुस्तक से भारत के सांस्कृतिक एवं धार्मिक इतिहास से गहरे लगाव के कारण कोरोना काल में फुर्सत के पलों में तैयार पुस्तक ‘जिंदगी के 78 कोहिनूर’ में घटनाओं और प्राप्त अनुभवों के आधार पर जिंदगी की वास्तविकता को जैसा लेखक ने समझा है, उन्हें दृढ़ संकल्प, साफ नीयत और अटल निष्ठा के साथ स्पष्ट करने का प्रयास किया है। मेरा यह पहला प्रयास आपके सामने है। यह कैसी बन पड़ी है, इसका निर्णय आपको करना है।

Zindagi Ki Pathshala by N. Raghuraman

चमचमाती इमारतों और अन्य सुविधाओं की बजाय संवेदनशील लोग ही दुनिया को रहने के लिए बेहतर स्थान बनाते हैं। दृढ संकल्पित व्यक्ति को उसके लक्ष्य तक पहुँचने से कोई नहीं रोक सकता। ऐसे लोगों की ईश्वर भी मदद करता है। अगली पीढ़ी को समग्र रूप से मजबूत बनाने के लिए स्कूल, माता-पिता और नीति-निर्माताओं को पूरी शिक्षा प्रणाली में शारीरिक शिक्षा को भी शामिल करना होगा। संतुलित विकास से ही हम सक्षम नई पीढ़ी का निर्माण कर सकते हैं। कोई भी व्यक्ति इनोवेटर बन सकता है, यदि उसकी बुनियाद मजबूत है और आधारभूत चीजों के बारे में उसे पूरी स्पष्टता है। जिंदगी में लंबी रेस का घोड़ा बनना है तो पहले कॅरियर बनाइए, पैसा अपने आप आ जाएगा। पेड़ तो आपको लगाना ही चाहिए, लेकिन युवा मनों में शिक्षा के बीज भी बोइए; क्योंकि इनसे मिला फल पेड़ों से मिलनेवाले फलों से ज्यादा मीठा होता है। —इसी संग्रह से प्रसिद्ध मोटिवेशन गुरु एवं शिक्षक श्री एन. रघुरामन के दीर्घकालीन अनुभव का निचोड़ हैं ये सूत्र, जो ‘जिंदगी की पाठशाला’ में आपको सफल होने और अभीष्ट पाने में मदद करेंगे।

Zindagi Na Milegi Dobara by N. Raghuraman

मानव के रूप में हम न केवल अपनी संतानों की देखभाल करते हैं, बल्कि एक यंत्र ‘बुद्धि’ हमारे अंदर समूचे ग्रह, समूची पारिस्थितिकी, प्रकृति की समूची भेंट की देखभाल करने की शक्ति के रूप में विद्यमान है। और यही यंत्र ‘बुद्धि’ मशीनें बना सकती है, जो किसी को बचा सकती हैं तथा किसी को भी नष्ट कर सकती हैं। ईश्वर की बनाई कोई अन्य प्रजाति इतनी शक्तिशाली, इतनी दयालु और इतनी चामत्कारिक नहीं है। जीवन निश्चित रूप से एक ही बार मिलता है। और हम में से हर कोई किसी खास उद्देश्य के लिए ईश्वर का दूत बनकर इस पृथ्वी पर आया है। हमारा कार्य उस उद्देश्य का पता लगाना और अपने जीवन को उसकी प्राप्ति में लगाना है। इस पुस्तक में उन लोगों के बारे में बताया गया है, जो उस उद्देश्य का पता लगा पाए और जीवन को उसी दिशा में मोड़ पाए, जिससे उन्हें ही नहीं बल्कि उनके आसपास के सारे जगत् को प्रसन्नता मिली। अत: जो कुछ करना है, वह इसी जन्म में करना है। जीवन की वास्तविकता और उसके अस्तित्व मात्र का ज्ञान करानेवाली पुस्तक, जो हमें कर्मशील बनाएगी।