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Teesa by Nandani Agrawal

भारत में किस्से-कहानियों में राजा और उनकी रियासत को आज भी जिंदा रखा गया है। राजाओं के भोग-विलास की कहानियाँ उस दौर में प्रजा के साथ हुई घटनाओं और राजा के कुटिल स्वभाव को भी बयान करती हैं। ‘तीसा’ उपन्यास का तानाबाना भी राजा और मंत्री की चालबाजी से शुरू होता है। जहाँ राजा लालची तो है ही लेकिन एक खौफ के साये में अपनी जिंदगी को जी रहा है। राजा का अपनी ही रानी से मोहभंग सिर्फ इसलिए हो जाता है क्योंकि रानी राजा की कुटिल करतूतों पर खामोश नहीं होती है। कहानी का केंद्र बिंदु तीसा का शांत स्वभाव और चाँद सी शीतलता ओढ़े उसकी खूबसूरती है जो जंगल में चंदन की खूशबू फैलाती हुई सी लगती है। अब जहाँ चंदन हो, वहाँ विषैले साँप तो होंगे ही। ऐसे में राजा के मायाजाल से खुद को बचाना, यह चुनौती का काम तो होगा ही। तीसा कैसे मुश्किल समय में धैर्य और साहस से अपनी जीत को सुनिश्चित करती है, यह हम सबके लिए एक सबक की तरह हो सकता है। आप किसी भी मुश्किल समय में क्यों न हों, बस उम्मीद रखिए कि बुरा समय जरूर बीत जाएगा और अधर्म कितना भी क्यों न पाँव पसारे, जीत अंत में धर्म की ही होती है।

Teesara Kinara Tatha Anya Kahaniyan by Himanshu Joshi

प्रसिद्ध कथाकार हिमांशु जोशी की कहानियों में आम आदमी का सतत संघर्ष ही नहीं, आज के समाज का सजीव प्रतिबिंब भी है। इसलिए उनकी कहानियाँ मात्र कहानियाँ ही नहीं, अपने समय का एक प्रामाणिक दस्तावेज भी बन गई हैं। अनेक धरातलों पर लिखी गई इन विविध रंगी, बहुआयामी कहानियों में गहन मानवीय संवेदनाओं के साथ-साथ एक दृष्टि भी है, अपना एक अलग दृष्टिकोण भी। इतने सरल, सहज ढंग से इन्हें चित्रित किया गया है कि ये कहानियाँ चलचित्र के चलते-फिरते, बोलते दृश्य सी प्रतीत होती हैं। बनावट और बुनावट का अपना एक अलग महत्त्व होता है, किंतु बनावट और बिना बुनावट के सहज शैली में लिखी इन रचनाओं का अपना विशिष्ट सौंदर्य है। शायद यही सौंदर्यरहित सहज सौंदर्य इन रचनाओं को एक नया आयाम देने में सफल रहा है। कहानी कहानी होते हुए भी कभी कहानी नहीं, सच लगे-इससे बड़ी खूबी और क्या हो सकती है-यही इन रचनाओं की उपलब्धि है। हिमांशु जोशी ने कहानी लेखन में प्रयोग भी कम नहीं किए। अनजाने प्रदेशों में कथा-तत्त्व को खोज निकालना उनका स्वभाव है। हिमांशु जोशी का यह कहानीसंग्रह अद्भुत वैविध्य लिये है। इतनी विविधता हिंदी कहानी-संग्रहों में कम देखने को मिलती है।

Teesari Dharti by Aruna Sitesh

अरुणाजी की रचनाएँ हमारे आस- पास जीते -विचरते पात्रों को ऐसे सहज रूप में कथासूत्र में पिरोती हैं कि पाठक को मात्र पढ़ने का नहीं, अपने जाने -पहचाने समाज को नितांत नए अनुभव एवं नई दृष्‍ट‌ि के साथ पुन : जानने - समझने का सुख भी प्राप्‍त होता है । ये कहानियाँ नसि मन की बूझी- अनबूझी पहेलियों पर प्रकाश डालने में विशेष रूप से सक्षम हैं । नारी-जीवन की व्यथा-कथा तथा आशाओं- अपेक्षाओं का चित्रण अरुणाजी के लेखन की विशेषता है । नारी मन की गहन संवेदनाओं को, बिना नारी-मुक्‍त‌ि का मुखौटा लगाए वे बड़े ही सहज भाव से चित्रित करती हैं । ये सभी कहानियों समय-समय पर धर्मयुग, साप्‍ताहिक हिंदुस्तान, सारिका आदि में प्रकाशित होकर चर्चित हुई थीं । इस संग्रह में, जीवन के सांध्य काल में लिखी उनकी कहानी ' तीसरी धरती ' भी है, जिसे ' वागर्थ ' में पढ़ते ही स्व. कमलेश्‍वर ने अपने द्वारा संपादित तथा साहित्य अकादेमी से प्रकाशनाधीन, हिंदी लेखिकाओं की कालजयी कहानियों के संग्रह के लिए चुना था । डॉ. अरुणा सीतेश के द्वितीय प्रयाण- दिवस पर विनम्र श्रद्धांजली- स्वरूप प्रस्तुत है यह कथा संग्रह तीसरी धरती ।

Tejaswi Man by A P J Abdul Kalam

मैं यह पुस्तक इसलिए लिख रहा हूँ ताकि मेरे युवा पाठक उस आवाज को सुन सकें, जो कह रही है-' आगे बढ़ो ' । अपने नेतृत्व को हमें समृद्धि की ओर ले जाना चाहिए । रचनात्मक विचारोंवाले युवा भारतीयों के विचार स्वीकृति की बाट जोहते-जोहते मुरझाने नहीं चाहिए । जैसाकि कहा गया है-चितन पूँजी है, उद्यम जरिया है और कड़ी मेहनत समाधान है । युवा पीढ़ी ही देश की पूँजी है । जब बच्चे बड़े हो रहे होते हैं तो उनके आदर्श उस काल के सफल व्यक्‍त‌ित्व ही हो सकते हैं । माता-पिता और प्राथमिक कक्षाओं के अध्यापक आदर्श के रूप में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं । बच्चे के बड़े होने पर राजनीति, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग जगत् से जुड़े योग्य तथा विशिष्‍ट नेता उनके आदर्श बन सकते हैं । -इसी पुस्तक से भारत के पूर्व राष्‍ट्रपति महामहिम डॉ. ए.पीजे. अब्दुल कलाम ने आनेवाले वर्षों में भारत को एक महाशक्‍त‌ि के रूप में स्थापित करने का स्वप्न देखा है; और इसे साकार करने की संभावना उन्हें भारत की युवा शक्‍त‌ि में नजर आती है । हम बच्चों- युवाओं को प्रेरित कर उन्हें शक्‍त‌ि-संपन्न भारत की नींव बना सकें, यही इस पुस्तक को लिखने का उद‍्देश्य है । प्रत्येक चिंतनशील भारतीय के लिए पठनीय पुस्तक ।

Telugu Ki Lokpriya Kahaniyan by Dr. Balshauri Reddy

तेलुगु-साहित्य में छोटी कहानियों का आरंभ 16वीं शतादी के उारार्द्ध में हुआ। परंतु सबसे पहली मौलिक तेलुगु-कहानी आंध्र के महाकवि श्री गुरजाड अप्पाराव ने सन् 1610 में लिखी थी। तेलुगु-साहित्य में छोटी कहानी का श्रीगणेश अप्पारावजी ने ही किया। उनकी कहानियों में व्यंग्य की प्रधानता है। ग्राम्य-जीवन का चित्रण यों तो कई कहानीकारों ने किया है, पर श्रीकविकोंडल वेंकटेश्वरराव की कहानियों में जो चित्रण मिलता है, वह अन्यत्र नहीं। तेलुगु-कहानी-साहित्य में चलम् के प्रवेश ने या भाषा, या भाव, सब में क्रांति पैदा की है। चलम् ने सभी क्षेत्रों में विद्रोह का झंडा ऊँचा किया है। श्रीसुखरम् प्रताप रेड्डी ने यद्यपि बहुत कम कहानियाँ लिखी हैं, फिर भी कहानी-साहित्य में उन्हें उच्च स्थान प्राप्त है। उन्हें तेलुगु-कहानी-साहित्य का गुलेरी कहें तो अतिशयोति न होगी। तेलुगु-कहानियों में हास्यरस का अभाव था। उसकी पूर्ति श्रीमुनिमाणियम् नरसिंहराव ने की। भवसागर को लोग दु:खमय मानते हैं, पर नरसिंहराव ने आनंदमय माना और अपनी रचनाओं से सिद्ध भी किया। इनको कुछ लोग ‘हास्य चक्रवर्ती’ मानते हैं। इनकी कहानियों में अधिकतर पारिवारिक समस्याएँ ही मिलेंगी। तेलुगु-साहित्य में भावना-प्रधान तथा ऐतिहासिक प्रेम कहानियों के लिए श्री अडवि बापिराजु प्रसिद्ध हैं। इनकी कहानियों में संगीत, चित्रकला और अभिनय का वर्णन उल्लेखनीय है। तेलुगु भाषा के श्रेष्ठ कथाकारों की लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

Tendulkar Ki Kahani, Unhin Ki Zubani by Sachin Tendulkar

मेरे पिता ने मुझे 11 साल की उम्र में ही आजाद पंछी की तरह छोड़ दिया और मुझसे बोले, ‘‘अपने सपनों का पीछा करो, लेकिन यह शर्त है कि तुम उनको पाने के लिए शॉर्टकट नहीं ढूँढ़ोगे।’’ अपने 24 साल के लंबे कॅरियर के दौरान शायद ही ऐसा कोई क्रिकेट रिकॉर्ड होगा, जो सचिन तेंदुलकर से अछूता रहा हो। टेस्ट और एक दिवसीय मैचों में सबसे ज्यादा रन बनाने के अलावा वे पहले और एकमात्र ऐसे बल्लेबाज बने, जिसने 100 अंतरराष्ट्रीय शतक लगाए और 200 टेस्ट मैचों में अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। उनकी स्ट्रोक खेलने की विशिष्ट शैली ने उनको ऐतिहासिक हस्ती बना दिया, क्योंकि यह उनकी ही विलक्षण क्षमता थी कि वह दुनिया के किसी भी हिस्से में और मैदान के किसी भी कोने पर गेंद मार सकते थे। बंबई में एक मध्यवर्गीय परिवार में जनमे सचिन ने, जो कि एक शरारती बच्चे थे, बड़े हुए तो दिखाया—एक खिलाड़ी और कप्तान के रूप में कैसे लक्ष्यों को हासिल किया जाता है और कैसे सपनों को सच किया जाता है! हैरत की बात नहीं, खेल के प्रति उनका जुनून, देश के लिए उनके मन में सम्मान और मैदान एवं उससे बाहर उनका शानदार व्यवहार ही वे बातें रहीं, जिन्होंने उनको करोड़ों लोगों का चहेता और आनेवाली पीढ़ी के लिए रोल मॉडल बनाया था। सचिन तेंदुलकर के शिखर को छूने की रोचक और प्रेरणाप्रद यात्रा, उन्हीं की जुबानी। यह पुस्तक न केवल पठनीय है, वरन् असंख्य युवाओं और खेल-प्रेमियों के लिए प्रेरणा का खजाना है।

Thakkar Bapa by Sweta Parmar ‘Nikki’

‘ठक्कर बापा’ अद्भुत व्यक्तित्व के स्वामी थे। लोगों का कहना था कि वे अपने आप में एक संस्था थे। वे जिस युग में थे, वहाँ समाज के दुर्बल अंग की उपेक्षा की जा रही थी; तब बापा ने दलितों और पिछड़े वर्ग को साथ लेकर प्रगति का रास्ता पकड़ा। उनकी अडिग लोक-सेवा ने हर दीन-दुःखी और गरीब को सम्मान दिया और उन्हें सबका बापा बना दिया। राष्ट्रपिता बापू भी उन्हें बापा ही कहा करते थे। अपने जीवन के अंतिम क्षण तक जिस अपूर्व निष्ठा, अनन्य भक्ति व अथक परिश्रम से उन्होंने अपना सेवा-व्रत निभाया, वह निस्संदेह बेजोड़ कहा जा सकता है। बापा विनम्रता और सरलता की मूरत थे; जब काका कालेलकर ने उनसे लेखन के लिए कहा तो वे बोले, ‘‘मेरे जीवन में ऐसा कुछ नहीं है, जो लिखने लायक हो।’’ उन्हें भाषण देना नहीं आता था और न ही वे साहित्यिक भाषा में लेख लिखते थे, बस उन्हें डायरी लिखने का शौक था। मानवता को सबसे बड़ा धर्म मानकर शोषित-उपेक्षितों के कल्याण और सुख के लिए अपना पूरा जीवन समर्पित करनेवाले सेवाव्रती कर्मयोगी ठक्कर बापा की प्रेरक-पठनीय जीवनी है यह पुस्तक।

The Boss by Prakash Biyani , Kamlesh Maheshwari

सितारों की तरफ छलाँग लगाएँगे तो चाँद मिले या नहीं, उड़ना सीख जाएँगे। पेड़ की टहनी की ओर हाथ बढ़ाएँगे और गिरे तो धूल-धूसरित ही होंगे। सवा सौ करोड़ भारतीयों में से आज 5 0 फीसदी की औसत उम्र 2 5 वर्ष है। वे यदि उड़ना सीख जाएँ तो खुद भी अमीर हो सकते हैं और देश भी। यह पुस्तक आपको ऐसे 5 0 उद्यमियों से रूबरू करवा रही है, जिन्होंने एक उड़ान भरी और वे बन गए हैं खुद के बॉस। महत्त्वपूर्ण यह नहीं है कि ये कब शिखर पर पहुँचेंगे, महत्त्वपूर्ण है इनसे मिलने वाला यह सबक— ‘‘ग्लोबल मार्केट का हिस्सा बन जाने के बाद हमारे देश में अमीर बनना आसान हो गया है, पर विरासत में मिली भरी पूँजी या किसी प्रतिष्‍ठित यूनिवर्सिटी की भारी-भरकम डिग्री, दोनों ही अमीर नहीं बनातीं। इसके लिए चाहिए बस एक नया सोच और उसे साकार करने का संकल्प, साहस व सूझबूझ!’’

The Boy Who Loved by Durjoy Datta

कब और किससे प्यार करें बस 'यही एक चीज है, जिसकी योजना आप जीवन में कभी बना नहीं सकते। रघु यह दिखाना चाहता है कि उसकी जिंदगी में कुछ भी अनोखा नहीं है-प्यार करनेवाले मध्यमवर्गीय मातापिता हैं, एक बड़ा भाई है, जिसका वह काफी सम्मान करता है, और किसी आई.आई.टी. में पढ़ने का विचार है। और वह चाहता है कि सबकुछ ऐसा ही लगे-एकदम सामान्य। अपने सबसे अच्छे दोस्त को उसने स्कूल के स्वीमिंग पूल में डूब जाने दिया, दिल की गहराई में दबा यह अपराध बोध कहीं-न-कहीं उसे दर्द देता रहता है। और फिर जब इस दुनिया से मुँह छिपाकर, दोस्ती और प्यार से मुँह मोड़कर वह खुद को सजा दे रहा होता है, तभी खूबसूरत ब्राह्मी उसका मन मोह लेती है। एक ऐसी लड़की, जो काफी कुछ उसके जैसी है, फिर भी एकदम अलग। रघु खुद को कितना ही रोकने की कोशिश करता है, लेकिन अपने दिल से उसे निकाल नहीं पाता फिर जिंदगी उसे पाताल में पटक देती है, जहाँ उसका सामना अपने सबसे भयंकर डर से होता है। क्या प्यार में इतनी ताकत होगी कि उसे बाहर निकाल सके? दो भाग वाले रोमांस से भरपूर उपन्यासों का पहला भाग, प्रेमी (द ब्वॉय हू लव्ड), दिल को छू लेने वाला और रहस्य से भरा, असर छोड़नेवाला, विचित्र, आश्चर्यजनक रूप से सच्चा और खतरनाक रूप से काल्पनिक है।

The Great Indian Diet by Shilpa Shetty Kundra & Luke Coutinho

जब हमारे पास पहले से है बेस्ट, तो फिर क्यों जाएँ हम वैस्ट जी हाँ, शिल्पा शेट्टी और ल्यूक कुटिन्हो की टीम में शामिल हो जाएँ, जो आपको बताने जा रहे हैं कि आपकी स्थानीय रूप से उगाई गई एवं पारंपरिक स्रोतों से तैयार सामग्री कितनी पौष्टिक है; और आपको अपने लिए संपूर्ण आहार की तलाश में सीमाओं से पार जाने की आवश्यकता नहीं है। यह पुस्तक आहार की विविध श्रेणियों की चर्चा करते हुए न केवल आपको पौष्टिक आहार की जानकारी देती है, बल्कि यह भी बताती है कि इस प्रक्रिया के दौरान आपको वसा की खपत कैसे करनी है। एक व्यावसायिक पोषणविद् और एक पूरी तरह से फिट हस्ती के मिले-जुले अनुभव, डाइट के संबंध में आपकी आँखें खोल देंगे। आपको यह जानने में देर नहीं लगेगी कि भारतीय भोजन को पूरी दुनिया में सबसे बेहतर क्यों माना जाता है।

The Great Media Circus by Ravindra Ranjan

द ग्रेट मीडिया सरकस लोकतंत्र में मीडिया से जनता को सबसे ज्यादा उम्मीदें होती हैं। मीडिया और उससे जुड़े लोग जब जन-भावनाओं, उम्मीदों और अपेक्षाओं पर खरे नहीं उतरते तो उनकी आलोचना स्वाभाविक है। अकसर यह आलोचना मायूसी से उपजती है। मायूसी तब होती है जब मीडिया अपनी जिम्मेदारी ठीक से नहीं निभा पाता या फिर तब, जब मीडिया किसी मुद‍्दे पर वैसा रुख नहीं अपनाता जैसा जनता उम्मीद करती है। जनता मीडिया को अपनी आवाज समझती है। ऐसे में जब मीडिया कमजोर पड़ता है तो आम इनसान खुद को लाचार समझने लगता है। असल में समस्या दोनों तरफ से है। गफलत तब होती है जब जनता मीडिया की ताकत को सरकार से ऊपर समझ बैठती है। मीडिया की भी अपनी सरहदें हैं, कमजोरियाँ हैं, मजबूरियाँ हैं। यहाँ काम करनेवालों के भी अपने दुःख-सुख हैं, दिक्कतें हैं, तकलीफें हैं। वे किस माहौल में काम करते हैं, उनका सामना रोज कैसे-कैसे लोगों से होता है, यही ‘द ग्रेट मीडिया सर्कस’ में बताने की कोशिश की गई है। बाहरी चमक से आकर्षित करनेवाले मीडिया का माहौल अंदर से कैसा है? दूसरों का चरित्र मापने वाले मीडिया का अपना चरित्र कैसा है? उससे जुड़े लोग कैसे हैं? उनकी सोच कैसी है, फितरत कैसी है? ये सब भी ‘द ग्रेट मीडिया सर्कस’ का अहम हिस्सा हैं। मीडिया जगत् की हकीकत से एक अलग ही अंदाज में रूबरू करानेवाली पठनीय पुस्तक।

The Great Salesman by Sandeep Gajjar

The Great सेल्समैन (नंबर 1 सेल्समैन बनने की कला)—संदीप गज्जर आज की दुनिया खरीदारों की दुनिया है—बस, कमी है तो अच्छे सेल्समैनों की। अगर आप अपने कस्टमर का खयाल नहीं रखते तो आपका प्रतिद्वंद्वी रखेगा और वह आपसे आगे निकल जाएगा। फिर आप नंबर वन सेल्समैन बनने की दौड़ में पिछड़ जाएँगे। आप जब कस्टमर के सभी प्रश्‍नों के सटीक उत्तर देंगे, तभी वे संतुष्‍ट होंगे और आपसे सामान खरीदेंगे। अगर आप दो बार ‘नो थैंक्स’ कहने के बावजूद कस्टमर के पीछे पडे़ रहते हैं तो फिर वे भविष्य में कभी मुड़कर आपके पास नहीं आते। वहीं आप सहज और सरल भाव से मुसकराकर उन्हें विदा करते हैं तो जरूरत पड़ने पर वे अवश्य आपके पास आएँगे या आपको कॉल करेंगे। यह एक कड़वी सच्चाई है कि सेल्समैन को ‘हाँ’ से ज्यादा ‘ना’ सुननी पड़ती है। यह याद रखें कि ‘ना’ या ‘नो’ शब्द सेल्स से गहराई से जुड़ा हुआ है। जो जितनी ज्यादा ‘नो’ सुनने की हिम्मत रखता है, वह उतनी ही शिद्दत से सेल्स करता है। यह पुस्तक आपको अच्छे सेल्समैन से सर्वोत्तम सेल्समैन बनाएगी। यह सिखाएगी कि एक सेल्स टीम का नेतृत्व करने का बेहतर तरीका क्या है? अपने प्रतिद्वंद्वी से स्पर्धा करते हुए अपनी बिक्री और मुनाफा कैसे बढ़ाएँ? गलत फैसलों से कैसे बचें और अच्छे फैसले कैसे लें? मार्केटिंग और सेल्स के बहुप्रशंसित गुरु संदीप गज्जर के गहन अनुभव का सार है यह बेस्टसेलर पुस्तक।

The Guiding Light   by Dr. A.P.J. Abdul Kalam

ज्ञान का भंडार, प्रेरक और अनुकरणीय उक्तियों का अद्भुत चयन, जिसने भारत के सबसे विद्वान् व्यक्तियों में से एक, ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की सोच को प्रभावित किया और उसे स्वरूप दिया। अपने स्कूल के दिनों से लेकर अब तक, जब वह अस्सी की उम्र को पार कर चुके हैं, डॉ. कलाम को लिखित रचनाओं से काफी लगाव रहा है। उन्होंने जीवनपर्यंत प्रेरक पुस्तकों, धार्मिक ग्रंथों, दार्शनिक रचनाओं और कविताओं को पढ़ा। उनमें से वह ‘द गाइडिंग लाइट’ को लेखन के सबसे अच्छे उदाहरणों में से एक मानते हैं। इन शब्दों ने उनकी सोच पर प्रभाव डाला और उन्हें स्वरूप दिया, जरूरत पड़ने पर उनकी सहायता की और आज जो कुछ भी वह हैं, उनके ही कारण हैं। अपने लेखनों और संबोधनों में उन्होंने इन रचनाओं से लिये गए उद्धरणों का प्रयोग किया, जिनसे दुनिया भर में उनसे मिलनेवाले करोड़ों लोगों को प्रेरणा मिली। इस पुस्तक में रवींद्रनाथ टैगोर, अल्बर्ट आइंस्टीन, फ्रेडरिक नीत्शे, जिद्दू कृष्णमूर्ति, विलियम शेक्सपियर, जॉन मिल्टन और महात्मा गांधी जैसे लेखकों की रचनाओं से लिए गए उद्धरण हैं, जो अपने आप में काफी विविधता रखते हैं। साथ ही, कुरान, भगवद् गीता, बाइबिल, तिरुक्कुरल और अनेक अन्य रचनाओं से ली गई पंक्तियाँ भी शामिल हैं। ‘द गाइडिंग लाइट’ विभिन्न स्रोतों से जुटाए गए सुविचारों से संपन्न है। यह विचारप्रधान और ज्ञान का ऐसा भंडार है, जो गहन मंथन की प्रेरणा देता है। जीवन को प्रकाशमान करनेवाली उक्तियों का पठनीय संकलन।

The Jungle Book by Rudyard Kipling

शेर, भालू, चीता, भेड़िया, पेड़-पौधे—जंगल और जंगल की बातें बच्चों को खूब आकर्षित करती हैं। बाल साहित्य के मर्मज्ञ रुडयार्ड किपलिंग की ‘द जंगल बुक’ जंगल की दुनिया का वर्णन करनेवाली अत्यंत लोकप्रिय पुस्तक है। दुनिया की लगभग हर भाषा में इसका अनुवाद हो चुका है और हर भाषा में इसने अपनी लोकप्रियता के कीर्तिमान स्थापित किए हैं। इस पर बने धारावाहिक, फिल्में भी पूरी दुनिया के बच्चों को रिझा चुकी हैं। इसमें जंगल-जीवन की गतिविधियों और जंगली जीवों के कार्यकलापों को बालसुलभ भाषा में रोचकता के साथ वर्णित किया गया है, ताकि बच्चे जंगल के बारे में अधिक-से-अधिक जान पाएँ। ‘द जंगल बुक’ का यह हिंदी संस्करण जंगल में, बघेरा, मोगली, शेरखान और उनके तमाम साथियों की हरकतों और क्रीड़ाओं का अत्यंत रोमांचक एवं मनोरंजन से भरपूर संकलन है। नन्हे-मुन्ने ही नहीं, सभी आयु वर्ग के पाठकों को खूब पसंद आएगी यह पुस्तक।

The Law Of Attraction by  jerry Hicks

यह पुस्तक अब्राहम की मूल शिक्षा की सशक्त मौलिक बातों को प्रस्तुत करती है। इन पृष्ठों में आप देख सकते हैं कि वांछित और अवांछित, सभी प्रकार की चीजें ब्रह्मांड के सबसे शक्तिशाली सिद्धांत ‘द लॉ ऑफ अट्रैक्शन’ के द्वारा (जो अपनी ही तरह आकर्षित रहता है) आप तक पहुँचती हैं। संभवतः आपने भी ऐसी कहावतें अवश्य सुनी होंगी, जिन खोजा तिन पाइयाँ, चोर-चोर मौसेरे भाई, खुद पर करो यकीन (यकीन यानी वह सोच, जो आपके दिमाग में चलती रहती है)। बीते जमाने में कुछ महानतम शिक्षकों ने भले ही ‘आकर्षण के नियम’ की ओर संकेत किया, लेकिन इसकी इतनी स्पष्ट और व्यावहारिक संदर्भों में व्याख्यापहलेकभीनहींकीगई, जैसीकिसर्वश्रेष्ठ लेखकोंएस्थर और जेरीहिक्सकीइसनवीनतमपुस्तकमेंकीगईहै। इसमें आप ब्रह्मांड को नियंत्रित करनेवाले सर्वभूत ‘नियमों’ के विषय में पढ़ेंगे और यह भी जानेंगे कि अपने हित में उनका उपयोग किस प्रकार करें। इस पुस्तक को पढ़ने के बाद मिले ज्ञान से आपके दैनिक जीवन के सारे असमंजस दूर हो जाएँगे। अंततः आप समझ जाएँगे कि आपके और आपके संपर्क में आनेवाले लोगों के जीवन में सबकुछ क्यों घटित हो रहा है। यह पुस्तक आपको खुशी-खुशी जो है, उसे बनाए रखने, उसमें वृद्धि करने या जो भी इच्छा हो, उसे पूरा करने में सहायता देगी। जीवन में सफल होने के सूत्र बताती व्यावहारिक पठनीय पुस्तक।

The Power Of Positive Thinking by Norman Vincent Peale

यह पुस्तक आपको उन तरीकों और उदाहरणों को बताने के लिए लिखी गई है कि जीवन में किसी भी समस्या से हार मानने की आवश्यकता नहीं है। यह बताती है कि भी मन की शांति, अच्छा स्वास्थ्य और ऐसी ऊर्जा प्राप्त हो सकती है, जिसके प्रवाह का कभी अंत न हो। यह सामान्य तौर पर एक व्यावहारिक, प्रत्यक्ष तौर पर किए गए कार्य एवं व्यक्तिगत सुधार की नियम-पुस्तिका है। इसे पाठक के लाभप्रद, खुशहाल और संतोषजनक जीवन के एकमात्र उद्देश्य को पाने के लिए लिखा गया है। यदि आप इस पुस्तक को विचारपूर्वक पढ़ते हैं, उसकी शिक्षाओं को सावधानी से ग्रहण करते हैं और सच्चाई एवं निरंतरता से इसमें निहित सिद्धांतों व नुस्खों का अभ्यास करते हैं तो आप अपने भीतर आश्चर्यजनक बदलाव महसूस करेंगे। यहाँ दरशाई गए तकनीकों एवं सिद्धांतों में दक्ष होकर आप स्वास्थ्य का ऐसा अनुभव प्राप्त कर लेंगे, जो आपने अभी तक नहीं जाना होगा और आप जीवन में एक नई खुशी का अनुभव करेंगे। आप बेहतर एवं उपयोगी व्यक्तित्ववाले इनसान बनने के साथ ही एक प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी बन जाएँगे। पॉजिटिव थिंकिंग की जाग्रत् करके जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करने के व्यावहारिक सूत्र बताती अत्यंत रोचक एवं उपयोगी पुस्तक।

Thomas Alva Edison by Vinod Kumar Mishra

बाल्यकाल में ही बधिरता जैसे अभिशाप को एकाग्रता जैसे अद्भुत गुण में परिवर्तन करनेवाले थॉमस अल्वा एडिसन ने जीवन के अंतिम प्रहर तक थकना नहीं सीखा। औपचारिक शिक्षा से वंचित होने पर भी साहित्य से लेकर विज्ञान तक का गहन अध्ययन करनेवाले इस वैज्ञानिक ने अपने कार्यकाल में औसतन हर पंद्रह दिन में एक पेटेंट हासिल किया; उनके जरिए दुनिया आधुनिक काल में प्रवेश कर गई और उपभोक्तावाद का प्रादुर्भाव हुआ। नियति ने उसे पल-पल पर खोने के लिए मजबूर किया। तमाम उद्योगों में घाटा हुआ, अनेक आविष्कार असफल हुए, प्रयोगशाला जल गई, मित्रों और सहयोगियों ने भी धोखा दिया, संतानों में अविश्वास उपजा; किंतु एडिसन आयु के हर पड़ाव पर दुनिया को देता ही रहा। बिजली, ग्रामोफोन, सिनेमा, रबर जैसे सैकड़ों अद्भुत आविष्कारों का जनक न युद्धकाल में चैन से बैठा और न ही शांतिकाल में। उसने पत्रकारिता भी की और समाज-सेवा भी। उसे मानव से प्यार था और पक्षियों से भी। वह नेत्रहीनों की सहायता भी करता रहा और फिल्मों के जरिए नवोदित कलाकारों की भी। अमेरिकी राष्ट्रपति से लेकर आम आदमी तक उसका मुरीद बन चुका था। आज भी एडिसन अनुसंधानकर्ताओं के लिए आइंस्टाइन की तरह रोचक विषय है। एक श्रेष्ठ जीवन की श्रेष्ठ गाथा है यह पुस्तक।

Thomas Hardy Ki Lokpriya Kahaniyan by Thomas Hardy

वह अपने जीवन के आखिरी दिनों तक गवर्नस ही रही। फ्रांस के साथ अंतिम शांति समझौता होने के बाद वह अपनी माँ से अवगत हुई, जिसके साथ उसने इन अनुभवों को धीरे-धीरे बाँटा। जब उसके बाल सफेद हो गए और उसके नैन-नक्श सिकुड़ते गए, मिस वी सोचती कि अगर वह जिंदा होगा तो आखिर दुनिया के किस कोने में उसका प्रेमी होगा और क्या वह दुबारा उसको मिल पाएगी? पर जब बीसवें दशक में उसकी मौत हुई, तब उसकी उम्र बहुत ज्यादा भी नहीं थी। सुबह के तारों के नीचे वह आकृति उसकी अंतिम झलक के रूप में रही, जिसे कभी उसने अपने परिवार का दुश्मन माना था, जो कभी उसका वाग्दत्त पति था। वनई परिस्थितियों में धीरे-धीरे करके उसके दर्द की स्थिति भुला दी गई और उसे लोगों ने घुड़सवार फौज के सार्जेंट-मेजर की विधवा के रूप में स्वीकार लिया—एक ऐसी धारणा, जो उसका विनम्र और शोकाकुल आचरण साबित करती प्रतीत हो रही थी। उसका जीवन शांत स्थिति में आ गया था। उसका मन सपने के उदास सुख में डूबा रहता कि वह उसे वहाँ ले जाने के लिए जीवित रहता तो जॉन के साथ न्यूजीलैंड में उसका भविष्य क्या होता। वह केवल घर से बाहर हाट के दिनों में आइवेल जाने और पंद्रह दिनों में एक बार कब्रिस्तान जाने के लिए निकलती थी, जहाँ क्लार्क की कब्र थी। वहाँ जॉनी की मदद से उसने, जैसा कि अन्य विधवाएँ करना चाहती हैं, उसकी कब्र पर फूल-पौधे लगा दिए थे। —इसी संग्रह से प्रसिद्ध कथाकार थॉमस हार्डी की रोचक-पठनीय-लोकप्रिय कहानियों का संकलन।

Time Management Aur Safalata by Suresh Chandra Bhatia

जीवन में सफलता पाने के लिए समय के महत्त्व को पहचानकर स्वयं को समय के साथ अनुशासित करके चलना बेहद जरूरी है। ‘बीता हुआ समय’ हमारे द्वारा खर्च किए गए धन के समान है, जिसे हम कभी वापस नहीं पा सकते और ‘भविष्य का समय’ हमारे बैंक में जमा ऐसे धन के समान है, जिसकी मात्रा के बारे में हमें कुछ पता नहीं, केवल ‘वर्तमान समय’ ही हमारे पास उपलब्ध नकद धन के समान है। प्रतिपल, मिनट, घंटे, रात-दिन, माह एवं वर्ष के रूप में समय के महत्त्व को पहचानकर श्रम, उद्योग तथा सृजन का अवलंबन लेनेवाला व्यक्ति पग-पग पर सफलता के सोपान चढ़ता जाता है। हम अपने समय को नियमित दिनचर्या में बाँटकर, उसका अनुशासनपूर्वक पालन करके, अपनी आदतों को सही ढाँचे में ढालकर, दूसरे सफल व्यक्तियों के अनुभवों से लाभ उठाकर तथा कुछ समय की बचत करके अपने अत्यंत उपयोगी कार्य संपन्न कर सकते हैं। ‘टाइम मैनेजमेंट एवं सफलता’ पुस्तक प्रबंधन विज्ञान एवं प्रबंधन कला के विस्तृत क्षेत्र में समय का सदुपयोग जैसे महत्त्वपूर्ण विषय को केंद्र में रखकर अत्यंत सुबोध शैली में लिखी गई है। समय का सही मूल्यांकन कर उसका सद्प्रयोग करने से संबंधित अनेकों उपाए इस पुस्तक में दिए गए हैं।

Tisara Sukh Tatha Anya Kahaniyan by Shailesh Matiyani

अंधा देख नहीं सकता। वह अंदर बढ़ गई, तब भी उसने नहीं देखा। जब उसने काँपते हुए हाथों से दरवाजा बंद कर दिया, तब चिल्लाया था—‘‘कौन है?’’ ‘‘मैं हूँ, लछमी भिखारिन...’’ एकाएक उसके मुँह से निकल पड़ा था और वह चौंकी थी। ‘‘कहाँ भीख माँगती थी? आज तक तो दिखी नहीं...’’ तो क्या यह अंधा देखता भी है? ‘‘नई-नई आई है क्या इस शहर में?’’ ‘‘हाँ...आँ!’’ उसकी आवाज कितनी बदल गई थी! उस शख्स के लिए भी तो वह बिलकुल नई-नई थी। ‘‘कोई बच्चा-वच्चा भी है?’’ ‘‘ऊँ हूँ...अभी तो मेरी शादी ही नहीं हुई है।...’’ ‘‘उमर क्या होगी तेरी?’’ —इसी संग्रह से हिंदी के बहुचर्चित कहानीकार शैलेश मटियानीजी ने इन कहानियों में पूँजीवादी समाज-व्यवस्था के शिकार शोषितों-पीडि़तों के दु:ख-दर्द को जीवंत एवं कारगर तरीके से उजागर किया है। अत्यंत मर्मस्पर्शी, संवेदनशीलता व पठनीयता से भरपूर कहानियाँ।

To Sir, With Love by E.R. Braithwaite

विश्वप्रसिद्ध कृति ‘टु सर, विद लव’ में लेखक ब्रेथवेट ने लिखा है कि अन्य कैरिबियन लोगों की तरह उनमें भी देश के लिए कुछ करने की इच्छा थी और इसी भावना से ओत-प्रोत होकर वे ब्रिटिश सशस्त्र बल में शामिल हुए और युद्ध के दिनों में देश के लिए मर-मिटने को तैयार हुए। ब्रेथवेट शिक्षक के तौर पर गहरी अभिरुचि का प्रदर्शन करते हैं, लेकिन हम जानते हैं कि ऐसे कई सबक हैं, जो शिक्षकों को सीखने की जरूरत है, खासकर विनम्रता और धैर्य के संदर्भ में। यह बात कोई हैरानी पैदा नहीं करती कि असभ्य छात्र ही उन्हें सबक सिखाना शुरू करते हैं। इस बात का मर्मस्पर्शी चित्रण किया गया है, जब ऐसे ही एक बच्चे की माँ मर जाती है। वह बच्चा पूरी कक्षा में अकेला ही था, जो मिश्रित नस्ल का था। ‘टु सर, विद लव’ इस बारे में पाठकों के मन में कोई संशय नहीं छोड़ती कि सदियों से ब्रिटेन का समाज कैसा रहा है, किस तरह से पूर्वग्रहों से घिरा रहा है। ‘टु सर, विद लव’ हमें पचास के दशक के शुरुआत की याद दिलाती है, जब द्वितीय विश्वयुद्ध की तबाही के बाद ब्रिटेन के पुनर्निर्माण के लिए आने वाले हजारों अन्य लोगों की आसानी से पहचान की जा सकती थी और यहाँ सड़कों पर, कार्यस्थलों में और स्कूल-कॉलेजों में निर्विवाद आनुवंशिक पूर्वग्रह की गहराई से जमी समस्या उनका इंतजार कर रही थी। नस्लीय भेदभाव को दूर करने और समरसता का भाव जगानेवाली अत्यंत लोकप्रिय, भावुक एवं पठनीय पुस्तक।

Tohafa Tatha Anya Charchit Kahaniyan by Amar Goswami

तोहफा तथा अन्य चर्चित कहानियाँ—अमर गोस्वामी अमर गोस्वामी की कहानियों में बार-बार एक अमानवीय ऊँचाई पर पहुँचकर त्रासदी और कौतुक के बीच का फेंस टूटकर बिखर जाता है और दर्द की चुभन से हम ठहाका लगाकर हँसते नजर आते हैं। सिर्फ कहानी में ही नहीं, किसी भी कला विधा में ऐसे शिल्प को पाना अत्यंत कठिन काम है। कथाकार का यह शिल्प न केवल उन्हें विशिष्‍ट बनाता है, बल्कि अपने युग के कथाकार होने की सार्थकता को भी चिह्न‌ित करता है। —अशोक भौमिक अमर गोस्वामी को मनुष्य के मन को परत-दर-परत पढऩे की शक्‍ति प्राप्‍त है और उनकी कलम कभी-कभी जादूगर का डंडा हो जाती है। वे कहानी कहते जाते हैं और आप उनके साथ बहते जाते हैं। —रवींद्रनाथ त्यागी अमर गोस्वामी की कहानियों में कहानी के पात्र नहीं, कथाकार का अनुभव बोलता है, जो हमारे समाज का ही अनुभव है। इन कहानियों को पढ़कर हम चौंकते नहीं, एक गहरा उच्छ्वास भर लेते हैं और होंठ जबरन तिरछे हो जाते हैं। हम अपनी मुसकान को लेखक की कटाक्ष भरी मुसकान से मिलाए रहते हैं और खत्म होने पर बुदबुदाते हैं—'मान गए गुरु, कहानी ऐसे भी लिखी जा सकती है।’ —राकेश मिश्र अमर गोस्वामी के पात्र व्यवस्था की माँग नहीं, बल्कि व्यवस्था की जड़ता पर गहरी चोट करते हैं और व्यवस्था के यथास्थितिवाद के प्रति उनमें एक गहरा आक्रोश है। वे सही मायने में विपक्ष की भूमिका निभाते हैं। —डॉ. प्रमोद सिन्हा अमर गोस्वामी समकालीन दौर के उन चंद कहानीकारों में से हैं, जिन्होंने अपना मुहावरा पा लिया है। —प्रकाश मनु हिंदी कहानी में जो सहज रूप से बहनेवाली किंचित् लोकप्रिय धारा है, उसमें अमर गोस्वामी का भी योगदान है। यदि हम लोकप्रियता को साहित्यिकता का शत्रु न मानें तो अमर गोस्वामी की कहानियों के महत्त्व को भी स्वीकार करना पड़ेगा। —वेदप्रकाश भारद्वाज

Tokara Bhara Prem by Alok Saxena

अचानक ही धन देवी लक्ष्मी जी गहरे संताप में आ गई कि कल तक उसका आस्तिक उपासक, जो 500 और 1000 रुपए के अविनाशी नोटों को अपनी तिजोरियों, अलमारियों यहाँ तक कि अपने डबलबेड के बॉक्स व गद्दों के नीचे सँभाल-सँभालकर रखता था, बेनागा प्रतिदिन उसके आगे अगरबत्ती और दीपक जलाकर उसकी पूजा भी किया करता था, आज अचानक नास्तिक हो गया है। नास्तिक ही नहीं, जल्लाद बन गया है और उसे गंदे, मटमैले-कुचैले थैलों में भर-भरकर घर से बेघर करने पर आमादा हो गया है। हैवानियत उसके सिर चढ़कर अपना काम कर रही है। वह वर्षों से प्यार से सँजोकर रखी हुई अपनी लक्ष्मी को रात के अँधेरे में नदी-नालों, गटर, कूड़ेदान व आस-पास की झाड़-झाडि़यों में फेंकने पर आमादा हो गया है। उसे आज अपनी सुख-समृद्धि का बिलकुल भी ध्यान नहीं है। इस समय उसके लिए सुख-समृद्धि जाए चूल्हे में या फिर कहीं भी जाए, उसकी बला से! उसे तो इस समय अपने वैभव से ज्यादा अपने घर की लक्ष्मी को गुप्त रूप से ठिकाने लगाने की चिंता है। वह पहले उसे पाने के लिए अपना दिन-रात एक करता था। रात में सोता अपनी पत्नी के साथ था, परंतु खयालों में उसे ही रखता था। रात में बिस्तर पर करवटें बदलता था तो अपने गद्दों के नीचे बिछाकर रखी हुई, अपनी धन-लक्ष्मी को जब तब झाँक-झाँककर भरपूर देख नहीं लेता, तब तक उसे नींद नहीं आती थी। —इसी संग्रह से

Top 50 Global Brands by Pradeep Thakur

ब्रांड मूल्य (वैल्यू) वह परम मुद्रा (अल्टीमेट करेंसी) है, जिसके लिए कंपनियाँ तरसती हैं। मूल्यवान ब्रांड न केवल अपनी माँग को बढ़ाता है, बल्कि संबंधित कंपनी की ‘मूल्य-निर्धारण शक्ति’ (प्राइसिंग पावर) को भी। इस पुस्तक में सर्वाधिक लोकप्रिय अमेरिकी व्यावसायिक पत्रिका ‘फोर्ब्स’ द्वारा प्रतिवर्ष जारी की जानेवाली विश्व के 100 सबसे मूल्यवान ब्रांडों की सूची में से 50 श्रेष्ठतम ब्रांड को शामिल किया गया है। तुलनात्मक अध्ययन के लिए फोर्ब्स के साथ-साथ बहुराष्ट्रीय विज्ञापन व जनसंपर्क प्रतिष्ठान ऑम्नीकॉम समूह की सहयोगी कंपनी इंटरब्रांड के वार्षिक मूल्यांकन का भी उल्लेख किया गया है। मई 2017 में जारी फोर्ब्स पत्रिका की नवीनतम सूची में 170 अरब डॉलर ब्रांड-मूल्य व 214.2 अरब डॉलर ब्रांड-राजस्व के साथ एप्पल लगातार सातवें वर्ष विश्व के सबसे मूल्यवान ब्रांड के स्थान पर बना हुआ था। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल, फेसबुक, टोयोटा आदि के बारे में प्रामाणिक जानकारियाँ पाठकों को न केवल प्रेरित करेंगी, अपितु व्यावसायिक प्रतिष्ठानों को भी उत्कृष्ट गुणवत्ता के आधार पर मार्किट में शीर्ष स्थान पाने के लिए उद्यत करेंगी।

Toyota Success Story by Pradeep Thakur

टोयोटा को परंपरागत रूप से एक ठोस व विश्वसनीय ब्रांड माना जाता है, जो अपने संस्थागत आकार-प्रकार की तुलना में अपने उच्च गुणवत्ता वाले उत्पादों के लिए अधिक प्रसिद्ध है। मई 2017 में फोर्ब्स पत्रिका ने टोयोटा का ब्रांड मूल्यांकन 41.1 अरब डॉलर किया था और ‘विश्व के सबसे मूल्यवान ब्रांड’ सूची में आठवें स्थान पर रखा था। हाँ, सन् 2015 की पहली छमाही में वॉक्सवैगन ने टोयोटा से ‘विश्व के सबसे बड़े मोटरवाहन निर्माता’ का ताज जरूर छीन लिया था, लेकिन ब्रांड मूल्य के हिसाब से टोयोटा अपने क्षेत्र का सबसे मूल्यवान ब्रांड है। द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद जापान की अर्थव्यवस्था अत्यंत नाजुक दौर से गुजर रही थी, और जुलाई 1950 तक पहुँचते-पहुँचते टोयोटा दिवालियापन की स्थिति में आ गई थी। लेकिन कुशल प्रबंधन, आधुनिक तकनीक, उत्तम गुणवत्ता और ग्राहकों के भरोसे ने टोयोटा को कामयाबी के शिखर पर पहुँचाया और आज टोयोटा विश्व का सबसे सम्मानित ब्रांड बन गया है। मैनेजमेंट के छात्रों, प्रबंधकों और आमजन के लिए एक उपयोगी पुस्तक, जिसे पढ़कर पाठक टोयोटा की ‘सक्सेस स्टोरी’ से प्रेरणा पाकर अपना उत्कर्ष कर पाएँगे।

Trikon Ke Tinon Kon by Harish Pathak

सच कितने भी पहरों में कैद हो, अँधेरे की कितनी भी परतें उसे दबाएँ, पर उसका विकिरण, उसका तेज सबको चीरकर बाहर आ ही जाता है, सबसे ऊपर, सबसे अलग एक सच वह है, जो अक्षरों के साथ कागज पर उतरता है। एक सच वह भी है, जो अक्षरों से दूर चुपके से खड़ा होता है। यही चुप-चुप खड़ा सच हमें अहसास कराता है कि धूप चाहे बदली में ढक गई हो, सूरज चाहे हाँफने लगा हो, धरती बंजर से हरियाली में तब्दील हो गई हो, नीला जल अपनी शिनाख्त खो बैठा हो, हवाओं ने अपनी शीतलता कम कर दी हो, पर मैं वहीं हूँ—अपनी जगह विश्‍वास के न हिलनेवाले पाँवों पर खड़ा। प्रस्तुत पुस्तक में कल का सच, आज भी उसी विकृति और विद्रूपता के साथ मौजूद है। आज भी याददाश्त न खोनेवाले दिमागों में दर्ज है कि कैसे एक पवित्र जल में स्नान की चाह रखनेवाली महारानी को देखने उमड़ी भीड़ पचपन लोगों की जल-समाधि ले बैठी थी, कैसे मृत घोषित कर दिया गया एक संगीतकार आज भी अपनी धुनें बिखेर रहा है, कि गुंडे आज भी अखबारों और छोटे परदे पर रोज-रोज जगह पा रहे हैं, कि श्‍वसुर को मात देनेवाला एक दामाद वक्‍त से ही मात खा बैठा, कि हत्यारों की कहानी गढ़ते-गढ़ते बीहड़ों के प्रतिनायक जीवन के बीहड़ में आज कितने लाचार और पस्त हैं। ये रपटें,जो समय-समय पर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं—यह बताने में पूरी तरह सक्षम हैं कि देश, काल और मौसम के बदलने से न तो जीवन मरता है, न सच मिटता है। मनोरंजक, ज्ञानपरक एवं कौतूहलपूर्ण रचनाओं का संग्रह है— त्रिकोण के तीनों कोण।

Tukdon Mein Nahin, Poora Asmaan Chahiye by Neelima Singh

उड़ने की चाह में पंख तो मिले पर आकाश नहीं मिला एक टुकड़ा आसमान का मेरे आँगन से दिखता पिता ने कहा तू जितनी चाहे उड़ यही तेरा आकाश है मैंने देखा उनकी तरफ मेरा मौन मुखर हो बोला मुझे टुकड़ों में नहीं पूरा आसमान चाहिए उड़ने को सारा संसार चाहिए । - इसी पुस्तक मै

Tukdon Tukdon Mein Aurat by Mamta Mahrotra

‘‘हाँ! क्या मामला है? न्याय की प्रक्रिया शुरू की जाए।’’ ‘‘जी, ये इस शहर के एक युवक के साथ शहर की सीमा पार कर रही थी। यह जुर्म किया है इसने।’’ ‘‘नहीं! मैंने जुर्म नहीं किया है। इस युवक ने मेरे आगे पेशकश की थी कि यह मुझे गाँव छोड़ आएगा। वहाँ मेरे बच्चे भूखे हैं। मैं उनके लिए रोटी लेकर जा रही थी।’’ ‘‘पाप! अब तो तुमने महापाप किया है। शहर की रोटी गाँव लेकर जा रही थी। तुमको दंड मिलेगा और युवक की गलती भी नहीं है। जरूर एक स्त्री होकर तुमने उसको पथभ्रमित किया होगा। कोई पुरुष इतना साहसिक कदम उठा ही नहीं सकता है, अगर स्त्री उसको न उकसाए।’’ —इसी संग्रह से प्रस्तुत संग्रह की अधिकांश कहानियाँ नारी के अस्तित्व की लड़ाई को दरशानेवाली हैं। कैसे एक महिला समाज में हर स्तर पर प्रताड़ना और अवहेलना झेलती है। उसका किस प्रकार शोषण होता है। नारी के जीवन जीने की जद्दोजहद को लेखिका ने इन कहानियों में बड़ी सूक्ष्मता और सहजता से अभिव्यक्‍त किया है। समस्त कहानियाँ कहीं-न-कहीं हमारे अंदर की दोयम सोच एवं खोखलेपन को बखूबी दरशाती हैं। पठनीयता से भरपूर, मन को उद्वेलित करनेवाली कहानियाँ।

Tulsi Dohawali by Raghav Raghu

हिंदुओं के पवित्र ग्रंथ ‘रामचरितमानस’ के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास को उत्तर भारत के घर-घर में अकूत सम्मान प्राप्‍त है। राम की अनन्य भक्‍त‌ि ने उनका पूरा जीवन राममय कर दिया था। हालाँकि उनका आरंभिक जीवन बड़ा कष्‍टपूर्ण बीता, अल्पायु में माता के निधन ने उन्हें अनाथ कर दिया। उन्हें भिक्षाटन करके जीवन-यापन करना पड़ा। धीरे-धीरे वह भगवान् श्रीराम की भक्‍त‌ि की ओर आकृष्‍ट हुए। हनुमानजी की कृपा से उन्हें राम-लक्ष्मण के साक्षात् दर्शन का सौभाग्य प्राप्‍त हुआ। इसके बाद उन्होंने ‘रामचरितमानस’ की रचना आरंभ की। ‘रामलला नहछू’, ‘जानकीमंगल’, ‘पार्वती मंगल’, ‘कवितावली’, ‘गीतावली’, ‘विनयपत्रिका’, ‘कृष्‍ण गीतावली’, ‘सतसई दोहावली’, ‘हनुमान बाहुक’ आदि उनके प्रसिद्ध ग्रंथ हैं। यह पुस्तक उन्हीं तुलसी को समर्पित है, जो अपनी रचनाओं द्वारा हमारा मार्गदर्शन करते हैं, हमें सामाजिक व आध्यात्मिक रूप से श्रेष्‍ठ बनने की शिक्षा देते हैं। तुलसी की वाणी, उनकी रचनाएँ मन को छू लेनेवाली हैं; हमें मार्ग दिखानेवाली हैं। इनका संदेश हमारा पाथेय है।